Saturday, July 8, 2017

"दालान" के दस वर्ष ....:))


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सोमवारी से सोमवारी ! सावन से सावन ! जुलाई से जुलाई - दस साल हो गए ...दालान के ! खुश हूँ ! समझ में ही नहीं आ रहा - ख़ुशी कैसे व्यक्त करूँ ! यह मेरा पुरजोर मानना है की कोई भी सजीव या निर्जीव चीज़ सिर्फ अपने बदौलत ऊपर तक नहीं पहुँच सकती - कई अन्य सजीव या निर्जीव उसे ऊंचाई पर पहुंचाते हैं ! अगर आप पढने वाले नहीं होते तो शायद यह दालान नहीं होता ! 
सबसे महतवपूर्ण है - विश्वास ! इंसान का खुद पर विश्वास होना तो प्रथम चरण है लेकिन अगर कोई गैर आप पर विश्वास करे - यह एक परमसुख है ! और शायद यहीं आप सभी मित्र और पाठक आते हैं ! और आप सभी ने मुझे मेरी क्षमता से ज्यादा सब कुछ दिया है ! या यूँ कहिये दालान शुरू होने के बाद से मेरे जीवन में जो कुछ भी है वो सब का सब इसी दालान / लेखनी की वजह से है ! अकल्पनीय है मेरे लिए , जो कुछ एक लोग मुझे नजदीक से जानते हैं वो जरुर ही अभी मुस्कुरा रहे होंगे :))
आज खुद को शब्द विहीन महसूस कर रहा हूँ - निःशब्द हूँ ! कोई शब्द नहीं है मेरे पास आप सभी के लिए ! हम क्या थे ? नॉएडा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षक ! दालान नहीं होता तो मै उन्ही असंख्य शिक्षकों की तरह किसी गुमनाम ज़िन्दगी को बसर कर रहा होता ! गुमनामी से मुझे नफरत है तभी तो दालान अखबार , टीवी , रेडिओ सब जगह आया :))
पिछले दस साल आँखों के आसमान से गुजर रहे है !  मेघ की तरह ! कब बरस जाए कहना मुश्किल है ......:))
मै कोई कवी , लेखक या साहित्यकार नहीं था ! आज भी नहीं हूँ ! कहीं कोई ट्रेनिंग नहीं है ! मूलतः एक रचनात्मक इंसान हूँ ! घर - परिवार , संस्था में रचनात्मक प्रयोग की मनाही होती है तो लिखने को एक प्लेटफॉर्म मिल गया - मन की बात बहुत ईमानदारी से लिखा और आप सभी को पसंद आया !
आज दालान पेज फेसबुक पर पिछले ढाई साल में 18,000+ पाठक जुड़े ! करीब दो लाख से ऊपर हिट्स दालान ब्लॉग स्पॉट को मिल चूका है पिछले सात साल में !
कई यादें हैं - कई बातें हैं - खुलेंगे सब - हौले हौले - शब्दों के साथ ......बने रहिये इस सावन दालान ब्लॉग के साथ .....:)))
...उन्ही यादों के मेघ के साथ विचरण कर रहा हूँ ....बड़े प्यार से अपने दालान को देख रहा हूँ ...:))
शुक्रिया ....!!!
~ रंजन ऋतुराज / दालान / पटना

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