Monday, October 20, 2014

इतवार का दिन .....


मुझे चिढ है - वैसे लोगों से - जो इतवार से भी अन्य दिनों की तरह पेश आते हैं ! सुबह सुबह जग जाना - अन्य दिनों की भांती जल्द नहा धो लेना  अजीब हाल है ! 
भाई इतवार बोले तो - देर से जागना - ढेर सारे अखबार पढ़ना - तीन चार बार चाय ! घर से दूर हों तो भाई बहन / माता पिता से बात चीत कीजिए - बात मत कीजिए - गप्प कीजिए - किसी नजदीकी / दूर के सगे संबंधी की परनिंदा कीजिए - परनिंदा कर के अपने मन को आनंदित कीजिए ! कार्तिक / सावन नहीं मानते हैं तो मटन / शटन का आनंद लीजिये ! भुन्जाते - भुन्जाते में आधा किलो मटन पेट के अन्दर ! अडोस - पड़ोस में कोई 'झप्पू भैया / चिम्पू' जैसा कलाकार हो फिर उसको चौक पर बुला कर गप्प कीजिए - "मोदी जीता / भाजपा हारा " टाईप गप्प - तब तक ऐसे गप्प कीजिए - जब तब आपस में 'माई - बहिन' ना हो जाए ! उसके बाद वो अपने घर - आप अपने घर ! 
गीज़र ख़राब है का बहाना कीजिए और नहाने का कार्यक्रम शाम तक टाल दिजीये ! चार बार सीसा में अपने पकते / सफ़ेद दाढ़ी को देखिये - मुह बना बना के सीसा देखिये ! 
बिछावन का कोना पकड़ लीजिये - पलंग पर ओठंग के लैप पर आईपैड / लैपटॉप खोल के फेसबुक की बकवास दुनिया में तब तक घुसे रहिये - जब तक वोमिटिंग न हो जाए ! दोस्त के दोस्त के दोस्त के दोस्त के दोस्त के दोस्त के प्रोफाईल में ...मालूम नहीं क्या खोजते रहिये ! शाम हो जाए - हेडेक धर ले - बडका तसला में गुनगुना पानी कीजिए - बडका बाल्टी में उसको डालिए - हाथ घुसा के पानी को हिलायिये - तब तक पानी फिर से ठंडा न हो जाए - फिर से किचेन में जा कर वही तसला से पानी गरम कीजिए - इस बीच घर के अन्य सदस्यों से मिल रहे 'श्लोक' को नज़रंदाज़ कीजिए ! फिर ऐसे ही शाम हो जायेगी - और सोमवार की चिंता में - किसी से लड़ / झगड़ के - इतवार का पुर्णाहुती कीजिए ! 
कहने का मतलब ....
जीवन में थोडा आलस भी होना चाहिए - जिसने आलस का लुफ्त नहीं उठाया - आलस के चक्कर में कुछ नहीं खोया - उसे क्या मालूम - आलस किस बला की चीज़ है ! 
@RR - 19 October - 2014 

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