Friday, September 26, 2014

देवता और इंसान ....

देवताओं का भी अजीब हाल है  महिषासुर के एकाग्र ध्यान से प्रसन्न होकर उसको वरदान दे दिए ...फिर सभी देवताओं को हेडेक होने लगा ..मालूम नहीं ई महिषासुर इतनी शक्ती से क्या क्या न कर बैठे ...फिर 'देवी' की पुकार ...खुद क्यों नहीं आगे आये ...देवता हो ...इंसान की तरह वर्ताव क्यों ? इंसान और राक्षस में जब पहचान ही नहीं ...फिर देवता किस बात के ? जब तुम बुरे समय में ...तुम देवता होकर भी ...देवी के पास गए ...फिर हम जब तुमको बाईपास कर के ...देवी को पुकारें ...इतनी कष्ट क्यों ? हम भी तो देवता बन सकते हैं ...
~ इंसान
~ १८ अक्टूबर - २०१२ 

No comments: