Saturday, September 27, 2014

दिवाली गिफ्ट ...


जैसे जैसे दिवाली नज़दीक आता है ..हार्ट बीट बढ़ने लगता है - मालूम नहीं इस बार क्या मिलेगा ..गिफ्ट में  ..वैसे हमको क्यों मिलेगा ? लेकिन भोला मासूम मन ...आशा बंध जाता है  ना तो हम सरकार में हैं ..ना ही किसी कॉर्पोरेट में  ना तो हम किसी का भला कर सकते हैं ..ना ही बुरा ...दुःख है ऐसे जीवन पर ...हम किसी का बुरा क्यों नहीं कर सकते ...काश किसी का बुरा कर पाते ...लोग मुझे भी दिवाली गिफ्ट देने आते ...दिवाली के पहले ...दो दिन पहले ..कोई बड़ा बिजनेसमैन...हें ..हें ..हें ...करते हुए मेरे घर पता पूछता ...अदब से मेरे फ़्लैट का घंटी बजाता ....हम ऐसे प्रतिक्रिया देते ..जैसे मुझे इसका इंतज़ार नहीं ...जबकी तीन दिन से इसी का इंतज़ार ...कब आयेंगे ..शर्मा जी ...अभी तो उनका फाईल आगे बढ़ाया ...इसी दिवाली के इंतज़ार में ...शर्मा जी अदब से ..गिफ्ट बढाते ...सर ये आपके लिए ...फिर दूसरा गिफ्ट ..मैडम के लिए ...हम आवाज़ लगाते ...सुनो जी ...ये शर्मा जी हैं ...अपने ही लोग हैं ...बहुत इज्ज़तदार ..बड़े पैसा वाले ...ऐसे लोगों के लिए ..अलग से मिठाई ..शरबत / कॉफ़ी ...फिर शर्मा जी कुछ नहीं लेते ..जल्दी उठ जाते ...सर ...और लोगों के यहाँ जाना है ...हमसे ही मेरे ओफ्फिस के मेरे कंपटीटर का घर का पता पूछते ...हम थूक घोंट उनको बताते ...फिर जब वो चले जाते ...गुस्सा में पत्नी को बोलते ....ये बिजनेसमैन ..किसी का नहीं होता है ... :(( 
सच पूछिये तो ..हम सपरिवार दिवाली के चार दिन पहले से ...हर शाम ....बालकोनी में ..मुह लटका के ...सड़क पर ..बड़े बड़े गाडी में ..चमचम गिफ्ट लदा हुआ ...कोई भी गेट से घुसा ...पत्नी के कान में फुसफुसाए ...'सिन्हा जी' के यहाँ जायेगा ...आजकल बढ़िया 'टेबुल' पर हैं ...कितना दर्द है ..बातों को बोलने में ...सुनने में ...यह केवल हम पति पत्नी जानते हैं ...एक दीपावली पत्नी का दर्द असहाय हो गया ....हमको बहुत गुस्सा आया ...सास ससुर पर ...पैसा था ..धन था ..बड़ा खानदान था ...फिर 'घुसहा दामाद' क्यों नहीं खोजे / ख़रीदे ...आज ये दर्द तो नहीं होता ...दिवाली में गिफ्ट नहीं मिलने का दर्द ...पत्नी पिछले दिवाली गुस्सा के बोली ..जानते हैं ..अब बच्चे भी यही सोचते हैं ..गलत घर में पैदा ले लिए ...दे आर इन डिप्रेशन ...खुद ही कोई गिफ्ट खरीद ..किसी के हाथ भेजवा दो ..बच्चों का कनफिडेंस बना रहेगा ..
{ कृपया बुरा नहीं माने ...हर साल दिवाली में ...गिफ्ट को लेकर व्यंग कसता हूँ ...अगर मुझे मिला होता ...तो नहीं कसता ...हिन्दुस्तान में कोई तब तक ही ईमानदार है ..जब तक उसको मौका नहीं मिलता :)) }
~ ३१ अक्टूबर - २०१२ 
@RR

No comments: