Monday, September 29, 2014

आपका मन ......


दुनिया का सबसे बड़ा हैवान ...सबसे बड़ा शैतान ...सबसे बड़ा भगवान् ...सबसे गंदा ...सबसे पवित्र ....किसी भी इंसान का मन होता है ! एक पल में न जाने कितनी भावनाएं से यह एक अकेला मन गुजरता है ...हर तरह की भावनाओं में रंगा होता है - हर एक किसी का मन ...! सारा खेल इसी मन का होता है ! आस पास की घटनाएं और वातावरण भी मन को प्रभावित करती हैं ...जैसे एक मंदिर में प्रवेश करते ही आपका मन भक्तिमय हो जाता है ...वही इंसान कुछ पल अपने ओफ्फिस में तंग मन से काम करता है ....! 
कई बार मन की बातों को ....जुबान देने से वो बातें मन में घर कर लेती हैं ...यहीं पर "मन का योग" शुरू होता है ...हम किस तरह की चीज़ें अपने मन में घर करना चाहते हैं - उसका योग करना चाहिए ! चोरों / डकैतों के महफ़िल में आप साधू जैसी बातें कीजिएगा ...बस कर के देखिये ...आप खुद ब खुद उस तरह के ग्रुप से बाहर निकल जाईयेगा ...क्योंकी आपने अपने मन के किसी एक पवित्र भावना को जुबान देना शुरू कर दिए ...जैसे ही उन भावनाओं को जुबान देना शुरू कर देते हैं ...वो भावनाएं मजबूत होने लगती हैं ....मन कभी भी 'शुन्य' में नहीं जीता है ...कुछ न कुछ उसको भर देता है ...अब आपके मन को कैसी चीज़ों से भरना है ...वो आप पर है ! गलत - सही की परिभाषा अपने आप में बहुत जटिल है - फिर भी हज़ारों साल से जो गलत है वो गलत है और जो सही है वो सही है ....किसी और को दिखाने के लिए नहीं ....खुद के लिए अपने मन को निर्मल कीजिए ....आपके पास दो आँखें हैं ...दुनिया हजारों आखों से आपको देख रही है ...दुनिया की चिंता मत कीजिए ....वो आपके निर्मल मन को देख ही लेगी ! 
हाँ ...जिन बातों को आप जुबान नहीं देंगे ...वो खुद ब खुद ख़त्म भी हो सकती हैं ....कभी कोशिश कीजिए ...आदतों का अगला पडाव ही चरित्र है ...खुद के अन्दर की बहुत सारी चीज़ों को आप नहीं बदल सकते ...पर मन के योग से बहुत कुछ बदल सकते हैं ...एक कोशिश कीजिए ...जोर लगेगा ...मन पर हैवानियत सवार होगी ...पर एक मजबूत मन को देख वो भाग खड़ी होगी ...फिर आयेगी ...तब तक आते रहेगी ...जब तक आप थोड़े भी विचलित हैं ...और एक दिन वो सारी गलत भावनाएं ....हमेशा के लिए ख़त्म हो जायेंगी !

@RR - २१ जुलाई - २०१४ 

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