Monday, September 29, 2014

गौरेया....


दालान के पाठक 'फरहान अहमद' ने यह तस्वीर इनबॉक्स की है - मेरी कलम से इस विषय पर कुछ लिखवाना चाहते हैं ! शायद यह चिड़िया ' गौरैया' है ! बचपन में सुनते थे - जिस घर में गौरैया चहकती है - वहां खुशी भी चहकती है ! घर के आँगन के खपड़ा वाले मकान के चारों तरफ चहकती गौरैया - फुदकती गौरैया बर्तन के आस पास आकर इस गर्मी में अपनी प्यास बुझाती - थोड़ी भी आहट होते ...फुर्र से उड़ जाती - गौरैया ! 
अब न तो गाँव है - ना ही गाँव का आँगन है - अब है तो बालकोनी - बालकोनी में रखे कुछ गमले - पर मन तो मन ही है - मन कहता है - काश गौरैया आती - बालकोनी में - फुदकते - चहकते - अपने साथ खुशीओं को भी लाती ! 
खैर ..उत्तर भारत में प्रतिदिन गर्मी बढ़ रही है - हमारे घरों में सुराही की जगह - फ्रिज ने ले लिया है - बढे स्टील के चमचमाते गिलास की जगह हम फ्रिज से पानी का बोतल निकाल सीधे मुह में लगा लेते हैं - प्यास से ज्यादा कुछ और बेचैन भी नहीं करती ! 
पर इस गर्मी में प्यास सिर्फ हमें ही नहीं लगती - जिस प्रकृती की देन हम हैं - उसी प्रकृती ने ढेर सारे प्यारे प्यारे पक्षी और जानवर भी हमारे संग रहने को दिए हैं - उन्हें भी प्यास लगती है ! 
फिर देर किस बात की ...एक छोटा कटोरा उठाईये - उसमे पानी रख ...अपने बालकोनी में रख दीजिये ....फिर देखिये ...कैसे गौरैया आती है ...चहकती हुई ...बस दो बूँद पानी पीने के बाद ...जब उसकी प्यास बुझेगी ...न जाने किस मासूम मन से ..वो आपको आशीर्वाद देगी ...और फिर उसको पानी में अपने सर को भिन्गोते देख ...जो मुस्कान आपके चेहरे पर आयेगी ...कोई मोल है ...उस खुशी का ...नाह ...अनमोल है ...:)) 
उठिए ...देर मत कीजिए ...शायद कोई गौरैया ..आपके बालकोनी में आपका इंतज़ार करते हुए ...खुशीओं को अपने पंख में समेटे ...:)) 
~ रंजन ऋतुराज

@RR  - 14 April 2014 

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