Friday, September 26, 2014

एक इन्द्रधनुष....


आँगन से बारिश की बूंदा - बांदी की आवाज़ आने लगी। 
झाँक कर देखा तो मुंडेर से लटकते पीपल के पेड़ के पत्ते बारिश में झूम रहे थे। । 
मैं भाग कर बाहर गया। … 
काले घने बदल आसमान पे घिर आये थे। … उनके बीच कभी कभी कड़कड़ाती हुई बिजली। । 
मुसलाधार वर्षा। 
प्रकृति मानो धरती को सींच रही हो। 
मैं बारिश में खूब देर भीगा। … 
तब तक जब तक तन ही नहीं मन भी भीगा। .... 
मन ताज़गी से भर गया। … उन्मुक्त हो गया। .... चिंतामुक्त हुआ। । 
फिर। 
बादलों को चीरती हुई हलकी सी धुप निकली। 
पल में रंग बदलता आसमान। .... 
आसमान पे और मेरे मन पे अब एक इन्द्रधनुष सी खिंच गयी. …।
@......२१ जुलाई - २०१३ 

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