Tuesday, September 30, 2014

ट्रेन में जो रईसी है वो कहीं नहीं ......


अब तो तथाकथित अपर मिडिल क्लास हवाई यात्रा भी करने लगा है पर ट्रेन में जो रईसी है वो कहीं नहीं ! प्लेटफार्म पर आगे आगे लाल कपडा में कूली और कुली के माथा पर बड़का सूटकेस और सूटकेस के ऊपर एक "हलडॉल" - खूब जोर से बाँधा हुआ ...पीछे पीछे 'बाबूसाहब' और हाथ में एक छाता उसके पीछे मैडम हाथ में डोलची लिए हुए - क्या दृश्य है ! एअरपोर्ट का सब रईसी फेल है ! 
मालूम नहीं बचपन की सभी यात्राएँ सुबह ही क्यों शुरू होती थी - रात भर 'हलडॉल ' कसाता था - एक खाली कमरे में हलडॉल को बिछा के - उसमे एक बढ़िया पतला वाला तोशक - उसके दोनों बड़े पौकेट में तकिया - तकिया के बगल में - अखबार में लपेटा हुआ 'चप्पल' ..हमलोग कहीं से खेल कूद के आये ...धडाम से ..उस बिछे हुए हलडॉल पर ..कूद फांद चालू ..तब तक घर का कोई डिप्लोमैटिक सॉफ्ट बोलने वाला छोटा चाचा / मामा ...रंजू बाबु अपना चप्पल भी ले आओ ..लपेट के रख दें ...अब हम बच्चे अपना चप्पल खोजने चले गए ..धो धा कर लाये तो देखे ..चाचा / मामा टाईप आइटम अपने घुटने से उस हलडॉल को कस रहे हैं ...एकदम दांत भींच के ...थोडा दूर पर माँ / फुआ / मामी जैसे लोग ...मन उदास ..माँ के पास सट के बोले ..मेरा चप्पल अब कैसे रखा जायेगा वही डिप्लोमैटिक चाचा / मामा ..हाथ से चप्पल लिए और कसे हुए हलडॉल में घुसा दिए ...मन नहीं माना ...लगा मेरे चप्पल के साथ बेईमानी हो गया ..उसको हलडॉल के बड़े पौकेट में तकिया के बगल में जगह नहीं मिला 
अब घर में टिफिन कैरियर खोजाने लगा - उफ्फ्फ - वो बड़ा वाला स्टील का टिफिन कैरियर - जितना बड़ा - उतने बड़े रईस आप - उस टिफिन कैरियर को याद कीजिए उससे खाना निकाल के खाने में जो मजा आता था - एयरइंडिया के ताज वाले खाने से ज्यादा इलीटनेस था - अब मिल ही नहीं रहा - अंतिम दफा कब देखा गया था - सब लोग अपना माथा पर जोर दे रहा है - कोई उधर से बोला - "चिम्पू" के बियाह में बड़े वाले फूफा जी को खाना उसी टिफिन कैरियर में गया था - हुआ हंगामा - वापस क्यों नहीं आया ! तबतक उधर से किसी ने बोला - अरे बड़की भौजी के आलमीरा में होगा ! मिल गया ! जान में जान आया ! 
टिफिन कैरिअर में - पुरी / आलू का भुजिया / अंचार - आम वाला - रखा गया ! अब टिफिन कैरियर सेट ही नहीं हो रहा - बुलाओ भाई - पुत्तु चाचा को बुलाओ - पुत्तु चाचा - उसको इधर उधर किये - सेट हो गया - लह - उसका लॉक टूट गया - पुत्तु चाचा उसमे एक लकड़ी खोंस दिए ...हा हा हा हा हा !

@RR - २ अगस्त २०१३ 

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