Wednesday, November 3, 2010

बिहारी प्राईड : भाग दो

अभी हाल तक मलय स्कूल में था ! बारहवीं की परीक्षा के बाद जहाँ उसके सभी दोस्त आगे की पढाई के लिये कमर कस रहे थे - मलय अमरीका पहुँच छः महीने का 'हवाई जहाज' उड़ाने का ट्रेनिंग लिया और अब मात्र २२-२३ साल में वो 'कैप्टन' रैंक पर् पहुँच गया ! अभय मरे स्कूल का दोस्त है और मरे साथ ही काम करता है - मलय उसका छोटा साला है ! जब कभी मै मिलता हूँ - दोस्त के साले के नाते हंसी - मजाक ! बात बात में ही पूछ दिया - कितना मिलता है ? बोला - काट कूट के ५ लाख महीना ! अब वो बी एम डब्लू का कोई नया सीरीज खरीदने वाला है ! इतने कम उमर में इतना तनखाह फिर भी बेहद शर्मीला ! नॉएडा के आम्रपाली ग्रुप के एक प्रोजेक्ट में खुद के लिये एक पेंट हॉउस भी बुक किया है !

ये एक मलय नहीं है - हो सकता है आपके जान पहचान में भी ऐसे कई बिहारी हों ! लालू-राबड़ी के पन्द्रह साल के शासन काल में कई परिवारों को बिहार से दिल्ली - मुंबई आने पर् मजबूर कर दिया ! ये लोग कोई बड़ा सपना लेकर नहीं आये थे - बस दो वक्त की रोटी कि तलाश में आये थे ! संजीव मरे साथ पढता था - पर् दूसरे कॉलेज में ! सिविल इंजीनियर - इरादा - बिहार सरकार में नौकरी का ! पर् बिहार नसीब में नहीं था ! कहता है - नौकरी मिलने के ठीक पहले वाले महीने में - पॉकेट में मात्र कुछ रुपये बच गए थे - इंडोनेशिया - मलेशिया इत्यादी जगहों से काम कर के कुछ पैसा जमा किया और चाचा के बिजिनेश में छोटा पार्टनर बन गया ! जब पूरी दुनिया आर्थिक रूप से टूट रही थी - संजीव ने दूसरे बिहारी के साथ मिलकर अपनी कंपनी २००६ में शुरू की और इस साल उसने नॉएडा में १५० एकड लेकर पुरे एन सी आर में हंगामा खड़ा कर दिया - जिसकी सरकारी कीमत करीब एक हज़ार करोड होती है ! साल में २ नए गाड़ी जरूर खरीदता है - उसके पार्टनर और मरे पुराने मित्र मनोज रे कहते हैं - अब हम बिहारीओं को बाकी के लोग सीरियस लेने लगे हैं ! हमारी पहचान 'पुरबिया मजदूर' से मालिक वाली होने लगी है ! इन दोनों की कम्पनी 'गारडेनिया' अब अगले साल आई पी ओ लाने वाली है - देखिये आगे आगे क्या होता है ? पर् ..इस जोखिम के खेल में बहुत साहस चाहिए !

और आम्रपाली ग्रुप के अनील शर्मा का क्या कहना :) कहते हैं - हम तो किसान के बेटे थे - बिहार में क्षीण होती संभावनाएं और कुछ करने कि तमन्ना ने आज 'एन सी आर' का बादशाह बना दिया - बेहद मीठे बोलने वाले ! दिल्ली से लेकर पटना तक - बिहारी प्राईड से जुड़े किसी भी कार्यक्रम को वो प्रायोजित करने से नहीं चूकते ! कल तक पटना की सडकों पर् पीले रंग की स्कूटर से चलने वाले अनील शर्मा का काफीला जब नॉएडा से दिल्ली एअरपोर्ट के लिये निकलता है - 'ओबामा' भी शरमा जाएँ :) इस तेज रफ़्तार की बढ़त में कई और कारक हो सकते हैं - पर् 'इरादा' बुलंद है ! हिटलर पर् एक सिनेमा भी बना रहे हैं !

बक्सर निवासी संजीव श्रीवास्तव पैन बिहारी इमेज के साथ हैं ! एन सी आर से कमाए पैसे बिहार में लगाना चाहते हैं ! बिहार के परिवहन मंत्री के बेटे के साथ मिलकर कंकडबाग में ४०० बेड का हॉस्पीटल और कई होटल ! बयूरोक्रैट परिवार से आते हैं - पता है - अपर क्लास को क्या पसंद है :) सो उनके सभी प्रोजेक्ट काफी इलीट होते हैं ! अभी हाल में ही 'आई बी एन - सी एन एन ' के सागरिका के प्रोग्राम में नज़र आये थे !

कवी कुमार से बेहतर बोलने वाला बिहारी मैंने आजतक नहीं देखा ! जमींदार घराने से आये हुए - कवी कुमार इंडियाबुल्स के एक मजबूत खम्भे थे ! समीर गहलौत के सबसे नजदीकी है ! समीर ने उनकी प्रतिभा का उपयोग और सम्मान भी किया ! बड़े ही आलिशान कोठी में - नॉएडा में रहते हैं ! कहते हैं - हम हर सुबह 'दही चुडा' ही नास्ता करता हूँ ! अपने गाँव सीतामढी में सिनेमा सूटिंग के लिये एक स्टूडियो बनाया है ! हर दूसरे महीने बिहार जाते हैं ! अपने शहर में जमीन खरीद .कई परियोजनाओं में पैसा लगाना चाह रहे हैं ! एक भोजपुरी सिनेमा भी बनाया है - कब अइबू अंगनवा हमार - और उसको नॉएडा के मल्टीप्लेक्स में भी लगवाया !

ये अनगिनत बिहारी हैं - जो घर  से बाहर आकर 'बिहारी प्राईड'  और रोजगार पैदा कर रहे हैं और सबके दिल में एक बिहार बसता है - सभी बिहार के लिये कुछ करना चाहते हैं !

क्रमशः


यह जारी रहेगा ....कृपया आपको कुछ और जानकारी हो तो मेल कीजिए mukhiya.jee@gmail.com


रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

5 comments:

Shankar said...

बिहारी और बिहारी लोगों का ये रूप आने वाले समय में बाकि बिहारियों के लिए गर्व और सीख लेने का विषय होगा और पचौरी साहब और दुआ साहब टाइप लोगों के जलने के लिए और भी बड़ी वजह.

Amit Kr. Arun said...

आप किसी व् राज्य में चले जाईये तो सारे लोगो को बिहारियों se ही प्रॉब्लम होती है इसका ख़ास कारन ये है की बिहारिओं को कर्म करके खाने की आदत है. और यही आदत बाकी लोगो के लिए जी का जंजाल लगने लगता है. दुनिया में किसी पर भी फब्ती कसना बहुत आसन होता है लेकिन हम भी उन सारे लोगो se पूछना चाहेंगे जो बिहारिओ पे कुछ बोलकर अपनाप को बुद्धिजीवी की कतार में सामिल होते है की चाहे वो दुनिया में किसी भी पद पर कायम हो, क्या उनके आसपास जरुर कोई बिहारी ही होगा जिसको देख कर वो भी मन में वैसा बनाने की सोच रखते होंगे.

कुछ हमारे ध्यान में भी वैसे लोग हैं तो की बिहार को बहार में गौरान्वित कर रहे हैं जैसे श्री समप्रदा बाबु (अलकेम ग्रुप), श्री महेंद्र बाबु(अरेसटो ग्रुप).

shailendra Bhardwaj said...

बिहारी शब्द गाली की तरह प्रयोग होता रहा क्योंकि यह समाज श्रम का सम्मान नहीं करता ... अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता के बूते बिहारियों ने संभावनाओं के जो नए आयाम तराशे हैं ,, उससे आश्चर्य एवं ईर्ष्या मिश्रित प्रतिक्रिया होनी स्वाभाविक है ... मुझे सुखद अनुभव होता है इन उपलब्धियों को देखकर ... क्योंकि बिहारी जाति के नए नायक एवं प्रेरणास्रोत ये कर्णधार ही होंगे .. मैंने पिछले दशक में नयी पीढ़ी के नायकों के रूप में सूरजभान , राजन तिवारी , छोटन शुक्ला एवं ब्रिज बिहारी जैसे लोगों को स्थापित होते देखा था ... आशा है हमारे नए नायकों की उपलब्धिया युवा पीढ़ी को एक सकारात्मक सन्देश देगी कि पैसा और नाम मेहनत कर के भी कमाया जा सकता है...

Jivitesh said...

जब बिहारी गर्व की बात आएगी, तो मैं आपका भी नाम लूँगा गुरूजी. जब भी मैं आपने कॉलेज की जिंदगी के बारे में सोचता हूँ और कुछ सबसे अच्छे शिक्षको के बारे में सोचता हूँ....तोह जो नाम सामने आते हैं....उसमे दो प्रमुख बिहार से हैं.......आप और अमित तिवारी सर.

और आप इतना अच्छा लिखते हैं...जब भी मैं थोडा परेशान होता हूँ जिंदगी से ....चला आता हूँ "दालान" के शरण में .......और सच्ची सच्ची बताऊँ तो ....बहुत सुकून मिलता है. लगता है अपनों का साथ है.



आपको साधुवाद देने के हिसाब से बहुत छोटा इंसान हूँ. लेकिन इश्वर से इतनी प्रार्थना है की आपकी लेखनी को कभी आराम न दे :-)

Mayank Mishra said...

Kafi informative blog tha ye..pata nahi tha ki kavi kumar bihar ke hai..aur itne sare bihari aisi bulandiyo pe pahuh gaye hai seemit sansadhan aur kathinayio ke sath.