Friday, October 29, 2010

बिहारी प्राईड : भाग एक

कल रात सी एन एन- आई बी एन  पर् 'बिहारी प्राईड' पर् एक सकरात्मक बहस चल रही थी ! हम सपरिवार बड़े ही ध्यान से देख रहे थे ! अच्छा लगा ! नीतू चंद्रा ने बड़े ही भोले अंदाज में अपनी बात कही , इरफ़ान भी ! सैबाल और संजीव की मजबूरी थी - नितीश सरकार के पक्ष में बोलने की ! खैर , कुल मिला कर बेहद 'पोजीटिव शो' ! सागरिका घोष बधाई की पात्र है - वो अभी हाल में पटना भी गयी थी !

अभी नीरज से बात हो रही थी - हमदोनो साथ में ही पढ़े हैं - कॉलेज के दिनों में कई राजनीतिक बहस होती थी - राजनीति उसकी भी रुची है ! एल एंड टी में प्रोजेक्ट मैनेजर है ! शुरू से ही महाराष्ट्र , गुजरात , राजस्थान में उसकी पोस्टिंग रही ! कहता है - हाल फिलहाल तक खुद को 'बिहारी' कहने पर् अजीब लगता था लेकिन अब बिहार से आती अच्छी खबरें 'फील गुड' का फैक्टर देती हैं और बिहारी कहने पर् शर्म नहीं होती ! नितीश और मीडिया को धन्यवाद दे रहा था !

ऐसा एक नीरज नहीं है - करोड़ों हैं ! नितीश ने कुछ किया हो न किया हो - थोडा तो सर ऊँचा कर ही दिया - इसमे बिहार और बाहर कि मीडिया का भी प्रमुख रोल है ! अच्छा होना और अच्छा प्रचार होना दोनों अगर साथ हों तो छवी सुधरती है ! छवी सुधरने में वर्षों लग जाता है और छवी गलत होने के लिए एक सेकेण्ड काफी है !

मै जब फाईनल इअर में पढने जाता हूँ तो - पहले लेक्चर में अपने विद्यार्थीओं को कहता हूँ - अपनी आँख बंद करो और 'इन्फोसिस' को सोचो - कैसी तस्वीर मन में आयी - अधिकतर का यही जबाब होता है - 'नारायणमूर्ती और नंदन निलेकनी' का ! जी , यही है लीडरशीप !

नितीश की लीडरशीप उन बिहारीओं के लिए अच्छी है - जिन्हें राजनीति से कुछ लेना देना नहीं है या जिनके परिवार का अब कोई बिहार सरकार में ना हो ! नितीश के पक्ष में कितना लहर है - यह हमको नहीं पता - पर् 'पति-पत्नी' की पन्द्रह साल की अजीबोगरीब शासनकाल ने नितीश को बहुत मदद किया - इस चुनाव में भी 'एंटी लालू' लहर है - दुर्भाग्यवश कॉंग्रेस और भाजपा दोनों इसको भुनाने में असफल हुए और नितीश विजेता ! नितीश जब आये थे - बिलकुल ताज़ा - चंद दिनों के लिए वो 'स्टेटमैन" रहे फिर वो एक पके राजनेता के रूप में अपनी वोट बैंक बनाने को बढे ! विकास नहीं किया - रंगाई - पोताई जरुर किया - झरझर हो चुके बिहार में हल्की पोताई भी दूर से दिखने लगी - वो और बहुत कुछ कर सकते थे - पर् वो बकरे को किश्तों में काटना चाहते थे और सफल भी हुए - विकल्पहीनता उनके लिए वरदान बनी !

अफसरों से हमेशा घिरे रहनेवाले नितीश ने हर गाँव - टोला में कुकुरमुता की तरह उग आये - क्षेत्रीय नेताओं को खत्म कर दिया - जिसका तत्काल राहत आम जनता को मिला - वैसे सभी नेता / अपहरणकर्ता अब अपनी अवकात के हिसाब से सड़क निर्माण में लग गए और धीरे धीरे राजनीति नितीश केंद्रित होती चली गयी ! कई कांटो को वो बहुत आसानी से निकल - देह झाड खडा हो गए ! कई जगहों पर् वो लालू से भी ज्यादा कट्टर लगे - जैसे सभी मलाईदार पदों पर् सिर्फ अपनी जाति के लोगों को बैठाना - लेकिन यह सन्देश आम जनता तक नहीं पहुंचा और पहुंचा भी आम जनता को कोई फर्क नहीं पड़ा - कौन इंजीनियर किस जाति और जिला का है - जनता को बस यही समझना था की - कॉंग्रेस राज में बनी सड़क - रिपेयर हो रही है ..या नहीं ! जी , कहने का यही मतलब की - नितीश राज में कोई नया प्रोजेक्ट नहीं आया ! १९९० में कॉंग्रेस ने जिन सडकों को जिस हालात में छोड़ा था - नितीश ने पन्द्रह साल में बेहद खराब स्थिति में आ चुकी सडकों को ठीक बनवा दिया ! जनता खुश !

आम जनता को और क्या चाहिए ! पिछले २० साल में पूरा एक नया जेनेरेशन आ चूका है जो विकास चाहता है - बिहार को महाराष्ट्र और गुजरात देखना चाहता है और उसके पास नितीश से बढ़िया कोई विकल्प नहीं - जब तक की नितीश कुमार अपनी जातीय कमजोरी के कारण बुरी तरह बदनाम ना हो जाएँ - होशियार होंगे बिहार कि जनता - जिसका हर एक तबका उनको वोट दिया है - उसका आदर करते हुए अपने आवास को 'नालंदा माफिया' से मुक्त करवाएंगे - भ्रष्टाचार चरम सीमा पर् है !

पर् ..अभी आप ही हमारे प्राईड बने हुए हैं - अंदर कैसे हैं - आम जनता को इससे कोई मतलब नहीं - यही आपकी जीत है - बधाई स्वीकार करें !!

रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

Friday, October 22, 2010

बिहार तमाशा - भाग पांच

कल प्रथम चरण का चुनाव समाप्त हो गया और दूसरे चरण का आज प्रचार भी समाप्त हो गया ! बहुत मुश्किल है कुछ भी कह पाना ! पर् आश्चर्यजनक रूप से 'छोटे भाई' ने 'बड़े भाई' पर् हमला बंद कर - कॉंग्रेस पर् तेज कर दिया ! सिग्नल साफ़ है - लालू की वोट बैंक में 'कॉंग्रेस' ने सेंध लगा दिया है - अब हानि कितना हुआ - मतगणना में पता चलेगा !

" विकास बनाम जाति " का बहस थोडा प्रायोजित लगता है ! वैसे धंधा चलाने के लिए ..प्रायोजित कार्यक्रम होना जरुरी है ...बहुत खर्चा है :) स्टार न्यूज तो हद कर दिया - नितीश को १४३ सीट में १२० ;-) आर सी पी को हम सभी के तरफ से बधाई !

नितीश के 'विकास' के तीन चेहरे थे - 'लौ & ऑर्डर' - 'शिक्षा' - 'सड़क' ! ये तीनो के पीछे 'ब्यूरोक्रेट' थे ! काम ठीक हुआ है - लेकिन इतना भी नहीं की - नितीश को हम सभी डिक्टेटर बना दें - वो एक बहुत ही सामन्य आदमी हैं - पगला जायेंगे - फिर बिहार कौन संभालेगा ? कॉंग्रेस का अगला मुख्यमंत्री 'ललन यादव' को अभी वक्त लगेगा !








रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

Thursday, October 21, 2010

दालान को पसंद करनेवाले :)

जब से फेसबुक ज्वाइन किया - 'दालान' को पसंद करने वाले लोग बढे ! कई लोग कई तरह के सवाल - जबाब करते हैं ! बहुत दिन तक खुद को छुपाये रखा ! फिर धीरे धीरे खुद के बारे में सबको बताया ! कई मैसेज आते हैं ! एक मैसेज ये भी आया :

आशीष : सिवान / मोटोरोला - हैदराबाद


Thanks for your blogs in "Daalaan".I am a regular visitor of daalan right from ur 1st blog in July 2007.I am working in Motorola Hyd.apke blogs ke through Bihar ki samvednaye milti rahti hai.Apke harek blog me kafi apnapan feel hota hai.Jab chhath aur holi me ghar(siwan,ujain market) jata hu tab Daalan ke print outs le ke jata hu...papa aur other family members ko paradhta hu.Apse milne ki bahut dili tamanna hai kyu ki apke bachpan aur apne bachpan me kafi similarity pata hu..like ghar me XXXXXXXXXX ...bahut kuch hai share krne ko..samay ka aabhav hai..phir kabhi....Anyway...keep writing in a same way...
 
 



रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

Tuesday, October 19, 2010

बिहार तमाशा - भाग चार !

भाग तीन संजय भैया लिख चुके हैं !

आज प्रथम चरण का चुनाव प्रचार समाप्त हो गया होगा ! अब असली काम शुरू हुआ होगा ! बोरा का बोरा - ठूंस के - टोला - टोला , गाँव - गाँव एजेंट लोग घूम रहा होगा ! नितीश बाबु ने बहुत कुछ किया उसमे से एक काम था पूरा बिहार को शराबी बना दिया ! सो आज - कल और परसों मस्त लाईफ होगा ! पटना गया था - कौन ऐसा गली नहीं था जहाँ शराब का दूकान नहीं था - सबका बोर्ड एक डीजाईन का ! लौ - ऑर्डर ठीक है सो किसी शराब के दूकान में पहले जैसा लोहा का सुरक्षा कवच नहीं था !

इस बार कार्यकर्ताओं में कोई उत्साह नहीं है ! अब देखिये - अफसर राजा हो गया ! एक अफसर अपने अंदर कई हज़ार 'साधू - सुभाष' को डकार सकता है ! पर् सब कुछ 'लौ -ऑर्डर' के अंदर ! साधू - सुभाष जैसा नहीं - खाली हल्ला ! खाया पिया कुछ नहीं और गिलास तोडा बारह आने का ! तो मै बात कर रहा था - कार्यकर्ताओं के उत्साह का ! :( सब ठंडा है ! पांच साल में मुख्यमंत्री जब मिनिस्टर से नहीं मिलते थे तो कार्यकर्ताओं का क्या अवकात ? जे कामया से अफसर और ठेकेदार  ! बहुत कार्यकर्ता मास्टर बन गया - कम से कम महीना में पांच हज़ार त मिलेगा :) एक नितीश जी के पार्टी के राष्ट्रीय 'महासचिव' से मिले - मोटरसाईकील पर् ढनमना रहे थे ! हम बोले - काश आप नालंदा के होते :) आपके लिए नितीश अंकल हेलोकोपटर का इंतजाम करवा देते ! खैर , नितीश जी का पार्टी है - हम कौन होते हैं कुछ बोलने वाले !

कॉंग्रेस का तो अजीब हाल है ! दिल्ली में बैठा हुआ सब चाहता ही नहीं है कि कॉंग्रेस बिहार में मजबूत हो ! जगदीश टाईटलर आये थे - खाया - पिया पप्पू यादव से दोस्ती किया और कॉंग्रेस को और कमज़ोर कर के निकल पड़े ! :) अनील शर्मा - कैसा नेता हैं - आज तक नहीं समझ पाया ! अरे बाबा - पांच साल में एक क्षेत्र तो बना लिया होता ! महबूब कैसर आये - चांदी कि कुर्सी दिखाने में ही व्यस्त रहे - हम खानदानी मुसलमान हैं - तब तक अशोक राम सब टिकट 'ब्लैक' कर दिया ;) मुकुल जी के सहायक 'मित्तल' का फोन नंबर जिसको मिला - वो समझा कि हमको टिकट मिल ही गया :) हाय रे - नेतागिरी ! कॉंग्रेस का प्रचार टी वी पर् आता है " अब देश कि रफ़्तार से जुडेगा बिहार" ! ऐसा लगता है कि किसी मोबाईल कंपनी का प्रचार है - एयरटेल का ! इस पार्टी के पास बहुत 'धैर्य' है ! तब तक हम .....

लालू पर् कोई विश्वास करने को तैयार नहीं है ! यादव साथ हैं - कुछ मुसलमान भी और पासवान जी के कारण - पासवान लोग ! लालू अगर हनुमान कि तरह अपना सीना फाड़ के बोलें - देखो इसके अंदर 'विकास' है - कोई नहीं मानेगा ! हम सब को यही उम्मीद थी की - लालू शायद 'रघुवंश बाबु' को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करेंगे - पर् लालू अभी 'शहीद' होने को तैयार नहीं थे ! लेकिन बहुत मेहनत कर रहे हैं ! शत प्रतिशत यादव् उनके साथ हैं ! मुसलमान अगर कॉंग्रेस और नितीश में नहीं बंटे तो लालू नितीश को 'हरदी चुना' बोलने पर् मजबूर कर सकते हैं !

बेचारी भाजपा :( सन २००० के चुनाव में 'कैलाशपति मिश्र' इसको बर्बाद किये - इसबार उनके एकमात्र चेला 'सुशिल मोदी' ! जय हो ! नितीश डुगडुगी बजाते हैं और भाजपा वाला सब नाचता है ! सी पी ठाकुर के कारण 'रामलीला' के मैदान में 'धृतराष्ट्र' वाला खेल खेला गया ! चलिए , इसी बहाने पूरा बिहार विवेक ठाकुर को जान गया :) संजय झा खाते भाजपा के हैं और झोला नितीश का उठाते हैं ! सब कोई 'सुशिल मोदी' बन नितीश से नज़दीक होना चाहता है - अब नितीश कितना इंटरटेन करें - बोले की आप सभी 'सुशिल मोदी' कि अगुआई में मेरी प्राईवेट लिमिटेड पार्टी में मिल जाईये ! खैर , अन्तोगत्वा नितीश आडवानी का इज्जत रखे और उनका 'बिहार प्रवेश' करवा ही दिए !

क्रमशः


रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

Monday, October 18, 2010

मेरी पटना यात्रा - भाग दो

पटना में एक दिक्कत है ! रात भी जल्द हो जाती है और सुबह भी :( सुबह सुबह बाबा और बाबु जी बोलना शुरू कर देते - रंजू अब तक उठे नहीं ? लैपटॉप का एडाप्टर इंदिरापुरम में ही छूट गया था सो रात भी जल्द हो जाती :( 

चुनावी बयार था ! सुबह सुबह टी वी के सामने बैठ जाता - लोकल चैनल सब पर् कोई जान पहचान का नेता दिख जाता ! बेंत वाला कुर्सी पर् दोनों पैर ऊपर कर के :) तब तक चाय पर् चाय ! फिर वहीँ से बैठ कर मोबाईल से फेसबुक पर् स्टेटस अपडेट करना और थोडा बहुत इधर उधर का पढ़ना !

पिछले कुछ बार से जैसे ही पटना पहुँचता - प्रभाकर के पास ! बहुत ही हल्की जान पहचान थी पर् फेसबुक ने अजीब सा सम्बन्ध बना दिया ! इस बार मुझे लगा वो बीजी होंगे चुनाव में, सो सोच कर पहला दिन नहीं गया ! अगले दिन फोन कर के उनके दफ्तर पहुँच गया - आधा कप कॉफी पीने ;) जुन में पुत्र के जनेऊ में सिर्फ दो ही लोग रिश्तेदार नहीं थे उनमे प्रभाकर और कृष्ण सर थे ! तब पता चला कि हमारा परिवार उनके परिवार को कई वर्षों से जानता है ! वो भी काफी दिनों तक कंकडबाग में रह चुके हैं ! वक्त ने उनको समय से पहले परिपक्व कर दिया है ! मुझे नहीं लगता कि वो किसी कि बातों का बुरा भी मानते होंगे ! बेहद मिलनसार और थोड़े इलीट :) पिछली बार भी उनके घर गया था - इस बार सपरिवार गया ! लौटते वक्त अपनी गाड़ी से सूरज दा कि गाड़ी में ठोक दिया :) इस बार जब मूड होता - गाड़ी उनके दफ्तर के तरफ मोड़ देता :) पत्नी ने मजाक भी किया - आपको पटना में मन लगता है - प्रभाकर जी कि ओफ्फिस में नौकरी कर लीजिए :) हा हा हा हा ! विशुद्ध दोस्ती तब कही जाती है जब आप एक दूसरे के स्पेस और विचारधारा को इज्जत देते हुए एक दूसरे से एक खूबसूरत मुस्कान से ज्यादा आशा नहीं करें ! वो भी अब दिल्ली आते हैं तो - जरूर मिलते हैं !  और क्या लिखूं - ज्यादा लिखूंगा तो दोस्ती को नज़र लग सकती है - वैसे मैंने उनके बारे में नहीं लिखने का प्लान किया था :) पर् लिख दिया -कुल मिलाकर उम्र में मुझसे छोटे हैं पर् परिपक्वता में काफी ज्यादा बड़े दिखते हैं !

एक दिन प्रकाश सिंह से भी मिला ! टाईम्स नाऊ के लिए काम करते हैं ! छह फीट के नौजवान ! जब मै पटना से लौट जाता तो वो शिकायत करते - इस बार बिना बोले उनके दफ्तर पहुँच गया ! बेहद शरीफ और बिना किसी लाग लगाव के बोलने वाले ! प्रभाकर,  प्रकाश और मेरे बीच एक कॉमन लिंक हैं - देवब्रत ! अब तक देवब्रत नदारत थे - मौसी के यहाँ गए थे !

एक दिन शाम सोच समझ कर दिवाकर भैया के पास गया ! डॉक्टर हैं ! मेरे स्कूल के सीनिअर ! २२ -२३ साल से उनको जानता हूँ - कभी मिला नहीं था ! सोचा मिल ही लूँ ! क्लिनिक में मिला ! ढेर सारे पदक - ट्राफी - क्या नहीं था ! बेहद मीठे स्वभाव के ! कॉंग्रेसी हो गए हैं - उनको कुछ पोलिटिक्स समझाया :( मालूम नहीं वो मेरी बातें कितनी गौर से सुने :(  थोड़ा महिनी से राजनीति में प्रवेश करना चाहते हैं - चाय तो लोगों को पिलाना ही पड़ेगा ;) बहुत बड़ा क्लिनिक है ! उनके पिता जी और माता जी दोनों पटना के डॉक्टर समाज के काफी प्रतिष्ठित लोग हैं !

एक दिन शाम हिंदुस्तान दैनिक से प्रशांत जी का फोन आया ! कुछ बोले - सेमीनार के बारे में ! मुझे ज्यादा समझ में नहीं आया ! अगले दिन उनसे फिर बात हुई - हिंदुस्तान दैनिक के ऑफिस में पहुँच गया ! अगरवाल साहब से मुलाकात हुई - शायद अब वो मुझे भूल चुके होंगे - किसी जमाने में बहुत हल्की परिचय थी ! कार्टूनिस्ट पवन जो मेरे स्कूल से ही हैं - और मै उनका बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ - मुलाकात हुई ! प्रशांत जी से भी - पहली दफा मिला ! परिचर्चा हुई ! कौशलेन्द्र जी से मिला - आई आई एम - अहमदाबाद से पास कर पटना में करोड़ों कि सब्जी का व्यापार कर रहे हैं ! इरफ़ान जी मिले - सम्मान फाउन्डेशन वाले ! उनके साथ कई साल पहले मै दिल्ली से पटना सफर कर चूका हूँ - तब जब मेरे पास रिजर्वेशन नहीं था और उन्होंने अपना सीट मेरे साथ शेयर किया था - उन्हें भी याद था :) अमिकर दयाल - जिनको बचपन से हमसभी फैन हुआ करते थे ! और भी कई लोग थे ! कुल मिलाकर एक बहुत ही बढ़िया अनुभव रहा ! 'प्रशांत जी' का शुक्रगुजार हूँ ! मै बुध्धीजीवी नहीं हूँ ! ना तो मुझे भाषा आती है और ना  ही साहित्य ! मुझे आज तक याद है - एक वरिष्ठ पत्रकार बोले थे - मेरे जैसे लोग हजारों सड़क पर् होते हैं - किसी बिल्डर के यहाँ छत ढल्वाते हैं कौन जानता है ! मै कहीं से भी 'बुध्धिजीवी नहीं हूँ ! बस जोश में फेसबुक पर् अखबार कि कटिंग डाल दिया और कुछ नहीं ! बस यह एक संयोग था और प्रशांत जी - पवन जी का मेरे प्रती स्नेह !

आने के एक दिन पहले 'देवब्रत' को फिर रिंग किया - परिवार के साथ कहीं घूम रहा था ! देर रात फोन किया फिर अगले दिन मुलाक़ात हुई - बहुत दिनों बाद हम दोनों सड़क पर् खड़े होकर घंटो बात किये ! अपनी अपनी कहानी ! नॉएडा में ही रहता है - यहाँ भी मुलाक़ात होती है पर् पटना जैसी नहीं ! देव के माता जी और पिता जी दोनों से मिला ! अच्छा लगा !

अपने सास - ससुर अब नहीं रहे ! सो चचेरे साला और सास लोग के यहाँ भी गया ! पाटलिपुत्र कॉलोनी में ! कंकडबाग से पाटलीपुत्र कॉलनी जाना आसान काम नहीं है :( और किसी के यहाँ नहीं गया ! वहाँ भी बहुत स्वागत हुआ ! चचेरे साला लोग रईस हैं ! पूरा बिहार का राजनीति समझा कर आ गया ;) हंस रहे होंगे :) दबंग लोग हैं :)

मूड हुआ गिरिराज बाबु से मिलता ! कई सम्बन्ध हैं और आदर भाव से फोन पर् बात होती है ! पर् चुनाव के कारण वो व्यस्त दिखे ! मैंने भी थोड़ा महटीआ दिया ! अगली बार मिलूँगा !

हर बार कोशिश यही रहती है कि एक बार बिहारटाईम्स वाले अजय भैया से जरूर मिलूं ! इस बार मौर्यालोक के बसंत बिहार में मिला ! साथ साथ डोसा खाया और उनके बिहार कन्क्लेव प्रोग्राम पर् चर्चा हुई ! मालूम नहीं मेरी बातों को वो कितना गंभीर रूप से लेते हैं - पर् गौर से सुनते हैं - ऐसा मुझे लगता है ! १२ साल से बिहारटाईम्स चला रहे हैं ! अब आज कल चुनाव चर्चा में वो सभी बिहार न्यूज चैनल पर् आते हैं !

दिल में पटना बसता है !

 मै राजनीतिक बिलकुल नहीं हूँ - थोडा 'इन्फो -हंग्री' हूँ - जिसके कारण बहुत लोगों को दिक्कत भी होती है :( सॉरी ! पटना थोड़ा साफ़ दिखा ! 

क्रमशः

रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

मेरी पटना यात्रा - भाग एक :)

दशहरा में पटना गया था ! कल ही लौटा हूँ ! कॉमनवेल्थ के कारण बच्चों की  छुट्टी हो गयी थी ! मेरी भी ९ अक्टूबर से होने वाली थी ! बाबु जी हलके से बोले कि 'पटना ही - आ जाओ ' ! पहले सोचा था 'मैसूर-बंगलौर' जाऊंगा ! ८ साल से नॉएडा - इंदिरापुरम  इलाके में हूँ ! सारा पैसा पटना आने जाने में खत्म ! पहले 'पटना में टी ए - डी ए बिल भंज जाता था - अब वो भी नहीं :( 

पत्नी और बच्चे ४ अक्टूबर को यहाँ से निकल पड़े ! साइड वाला सीट उनको मिला - गलती रेलवे रिजर्वेशन की थी -  पत्नी कि गाली मुझे मिली कि पहले से क्यों नहीं टिकट कटाया :( खैर , अब आदत हो गया है ! आलसी हूँ ! आज का काम कल करने कि आदत है ! वो लोग पटना पहुंचते ही पहला शिकायत किये कि - लाईन नहीं है :( अब बिहार बिजली बोर्ड के लिए मै कैसे जिम्मेदार हो सकता हूँ :(  पत्नी के नहीं रहने पर् यहाँ 'इंदिरापुरम' में मुझे सबसे बड़ी दिक्कत होती है - सुबह उठने कि - खैर दोस्तों को बोल दिया था - वो लोग फोन कर के उठा दिए :) तीन दिन मस्त से गुजरे ;) 

८ अक्टूबर को मै भी निकल पड़ा ! स्टेशन थोडा लेट पहुंचा ! वैसे आदत है - गाड़ी खुलने से एक घंटा पहले ही स्टेशन पहुँच जाना ! फिर स्टेशन को निहारना - गौर से यात्रीओं के चेहरे के भाव को पढ़ना ! मैग्जीन के दुकान से अमिताव घोष कि एक नोवल ख़रीदा ! ट्रेन में ढेर सारे 'कॉंग्रेसी; चढ़े हुए थे ! मेरे डिब्बा में ही ! धनी - मनी दिख रहे थे ! सीट बदल के मै उनके पास पहुँच गया ;) नोवल को बंद किया और 'राजनीति' पर् एक बहस छेड दिया :) कुछ लोजपा के भी धनी मनी उम्मेदवार बैठे थे ! हुआ हंगामा ! फिर एक उम्मीदवार था - जो शायद मेरी बातों से सहमत था - वो मेरा हाथ दबाया और बोला - अब आप चुप रहिये - वरना मार पीट हो जाएगा ! बड़ा मजा आया ! 

९ अक्टूबर को सुबह सुबह पटना पहुँच गया ! राजू गाड़ी लेकर आया था ! करीब १५ साल से हम लोगों के साथ है ! नालंदा जिला का नितीश जी का स्वजातीय है और उनसे ज्यादा खानदानी है ! पहले साथ में ही आऊट हॉउस में रहता था ! रास्ता में बोले कि तनी पान खाने दो ! मुह लाल लाल कर के डेरा पहुंचे ! बाबु जी सभी भाई का फ़्लैट एक साथ ही है ! आज तक इसको हमलोग 'डेरा' ही कहते हैं :) चाचा नीचे मिले ! प्रणाम किया और मुजफ्फरपुर से कौन कौन खड़ा है - पता किया ! वो बोले - रंजू , जितना पोलिटिक्स में तुमको इंटरेस्ट है - उतना हमको नहीं :(  ऊपर गए ! बाबा - बाबु जी जैसे इंतज़ार ही कर रहे हों ! सबको प्रणाम किया ! माँ ने चाय बना के दिया ! तीन दिन का पुराना सभी हिंदी अखबार उठा के टैरेस पर् झुलुआ पर् चला गया ! 

पत्नी के साथ ही सेम ट्रेन में 'देव' भी अपने परिवार के साथ पटना आया था ! बेहद ही संजीदा और संस्कारी ! बचपन का दोस्त है ! एक दो साल छोटा होगा ! अब वो खुद ही इतना फेमस है कि - उसके बारे में क्या लिखूं ! मै उसकी बहुत इज्जत करता हूँ ! वादा था - पटना में मिलेंगे ! सो उसको फोन लगाया ! लगा उसका फोन काम नहीं कर रहा ! खैर ! बाबा के साथ बैठ कर पूरा गोपालगंज जिला का राजनीति चर्चा किया ! तब तक पत्नी हाथ में तौलिया थमा गयीं - ऑर्डर के साथ - जल्द नहाईये - गरम गरम भात - दाल - आलू कि भुजिया - चटनी तैयार है ! ह्म्म्म .... काका से बोला एक कप और चाय :) 

बाबु जी अपने गठिया के दर्द से थोडा परेशान दिखे - उनके कमरे में गया ! धीरे से पूछे - 'नौकरी , मन लगा के कर रहे हो ..न ' ! पुराना सवाल - मेरा पुराना जबाब - पटना में बहुत स्कोप है ;) फिर वो लोन सोन का स्टेटस पूछे :( मैंने फिर बताया - फलाना - फलाना दोस्त लोग बी एम डब्लू इत्यादी खरीद लिया है - मौका मिला तो हम भी एक ... :) बाबु जी थोडा झिडके ...हमेशा फैंटसी में रहते हो ! पहले घर और पुरानी गाड़ी का क़र्ज़ समाप्त करो :( 

फिर पुरंदर भैया को फोन लगाया और बोला कि मेरे ससुराल वाले मार्केट में पहुंचिए ! मै भी नहा धो खा पी के निकल पडा ! बाबा कि नयी गाड़ी थी - टंकी फूल करवाया ! बाबा पैसा दे रहे थे - लेकिन मैंने मना कर दिया ! खुद के कमाई से बाबा कि गाड़ी में पेट्रोल डलवाना अच्छा लगा ! 

  कृष्ण सर के पास गया - रईस हैं ! मगही पान - ग्रीन टी और गप :) नितीश के पार्टी के कुछ महासचिव लोग भी मिले ! कुछ मत्री लोग कि भी शिकायत रहती है कि मै पटना आकर उनसे नहीं मिलता - पर् मैंने सन २००२ के बाद से ये प्रण लिया कि किसी राजनेता और बयूरोक्रेत से नहीं मिलूँगा - अगर जब तक यह विश्वास न हो जाए कि हमदोनो एक दूसरे को आदर करते हैं ! 

क्रमशः ..

रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

Thursday, October 14, 2010

"दिल वाले बचाए दिल अपना, हम तीर चलाना क्यों छोड़े ! "

"बिहार चुनाव"
बदलाव की इच्छा जब जब बलवती हुई है, बिहार के चुनाव का आधार जातिगत नहीं रहा .
१९७७ और २००५ का चुनाव और इसके परिणाम इसका प्रमाण है. सभी धर्म, जाति के लोग
नीतिश जी को जिताया नहीं था ,बल्कि लालू जी को हराया था. बिहार करवट बदला, क्योंकि
बदलना चाहता था. इसके लिए जातिगत नीति [अनीति ] को ताक पर रखना जरूरी था .

बिहार विकास को हरी झंडी दिखाए वगैर ,नीतिश जी का एक साल भी टिकना मुश्किल था .
अर्थव्यवस्था जनमानस की सोंच को रिचार्ज करता है . बदहाली के राह में खुशहाली के मोड़
भी आते है उस मोड़ से चलकर चौड़ी सड़क पर आया जा सकता है .
विकास की इच्छा बिहार की थी . केवल नीतिश की इच्छा या प्रयास कहना , करोड़ों की भावना
को आहत करना होगा .क्योंकि उनके धुर विरोधी लालू जी पर भी विकास का भूत इस कदर सवार
था कि विकास को रेल की रफ़्तार देने में कोई कोताही नहीं बरती. आज पूरा बंगाल भले ममता
अपने कब्जे में कर लिया हो पर रेल बेकाबू है ." रेल विकास" से "बिहार विकास" का भरोसा
जीतने में लालू अब भी नाकाम हैं.या यूँ कहें रेल विकास को चुनाव में भुना नहीं सके .
सच ही कहा गया है . "सफलता के शिखर पर पहुंचना आसान हैं, मुश्किल है वहां पर टिके रहना".
लालू की नौटंकी फिर से चालू हुआ 'पार्टी टिकट इच्छुक' के साक्षात्कार से . इस साक्षात्कार में
भरपूर मात्रा में डांट फटकार ,दुत्कार , दुराचार,अत्याचार {जो उनकी पार्टी का शिष्टाचार है}का नंगा
प्रदर्शन था .अपमानित कार्यकर्ता लाइन में लग कर उनके 'लालटेन' में 'तेल' तो नहीं ही डाल पायेगा .

चुनावी वादा चाहे किसी भी दल का हो ,पूरा नहीं होता. जनता अब समझ रही है .बिहार में ७७ और
२००५ के बदलाव में चुनावी वादा आने से पहले लोगों ने मन बना लिया था पटकनी देने की .
जो "छूट" पिछले सरकार को मिलती आई है आवाम से वहीँ "छूट " नितीश जी भी चाह रहे हैं .
अब किसी भी सरकार को छूट देने की भूल जनता करती है तो बदलाव अपना अर्थ खो देगा .
एक दरोगा चाह लेता है तो अपने थाने को २४ घंटे के अन्दर टकुये की तरह सीधा कर देता है ,
वैसे ही जिलाधीश अपने जिले को . फिर एक राज्य का मुखिया राज्य को क्यों नहीं कर सकता ?
क्यों अगला पांच साल माँगा जा रहा है ? अपनी "खिचड़ी" को "खीर" कहना उचित है ?
आप अपराधी को माला पहनाकर ,जनता को ताली बजाने को नहीं कह रहे ?

" राजनीति में सब जायज है." इस कथन में राज्य का शोषण है , दोहन है .राष्ट्रद्रोह है .

बिहार में कांग्रेस पुनर्जन्म हेतु गर्भ में है .वैसे गर्भपात का दंश कई बार झेल चुकी है.शुभ
शुभ रहा तो नीतिश जी की "गोद " में खेलना पसंद करेगी . दिल्ली दरबार से नेता तय करने
वाली पार्टी बिहारी जनमानस को केंद्र सरकार द्वारा दिए गए मदद को समझाने, बुझाने या भुनाने
में नाकाम साबित हुई.
मतलब राज्य और केंद्र का लेन-देन ठीक वैसे ही रहा जैसे बिगड़ैल बेटा बड़ा होकर बाप से बोल
दे मेरे में आपका खर्च ही क्या है ? राबड़ी जी भी बोली थी "हमें केंद्र ने कुछ नहीं दिया".
प्रो. रघुबंश ने बोलती बंद कर दिया था हिसाब देकर और उनका हिसाब लेकर .कांग्रेस की
चुनावी रणनीति बेहद फीकी है .

और राम विलास तो भोग विलास में लिप्त हैं नहीं तो मायावती अपने ५० सेंधमार भेज पाती .

नीतिश जी विकास की टोपी लगाये हुए भी परेशान है . छुपम -छुपाई खेलना पड़ रहा है .
सांप-सीढ़ी भी .जो इनका साथ दिया उसको तबाह और बर्बाद कर दिया इन्होने . भाजपा
को अपना वाला "तीर" मार कर" शर शैय्या" मुहैया करा दिया है .बोलने के लिए एक शब्द भी
नहीं छोड़ा है जिसको मतदाता के सामने भाजपा बोल सके .बिना शर्त समर्थन देने वाली भाजपा
को सशर्त अपने साथ खड़ा होने की इजाजत दिया है .मतलब "आना है आओ बुलाएँगे नही."
उस मोदी से नहीं इस मोदी से काम चलाओ,वरुण गाँधी से नहीं विकास की आंधी से काम चलाओ.
जैसे इनका बाहुबली अबतक केवल जीवन बाटता रहा हो .

जैसा लालू जी ने आडवानी जी का रथ रोककर मुस्लिम समाज का पुरजोर विकास किया था ,
ठीक वैसा ही विकास नितीश जी ने "गुजराती मोदी" ,और "वरुण" की "उड़ान" रद्द करवाकर
किया है .पता नहीं नेता लोग ठगी को किसी भी रंग से पोत देते है .

भाजपा अकेले भी लड़ती तो ४०-५० सीट निकाल ले जाती अभी मुश्किल से २० निकाल पायेगी .
क्योंकि कमज़ोर साथी की जरूरत है नितीश को.उनकी चुनावी रणनीति पिछले ४ साल से चल रही है.
क्षेत्र परिसीमन चुपके से अपने फायेदे को सोंच कर किया है .भाजपा की उम्मीदवारी को
प्रभावित किया है. केंद्र के पैसे को अपनी जेब का बताने में कामयाब रहा है . खाली पटना
और नालंदा का मेकअप करके बिहार को सपना दिखाया है . पत्रकार पटाये गए है.
"दिल वाले बचाए दिल अपना, हम तीर चलाना क्यों छोड़े ! "
अपने आदमी की तैनाती एक साल पहले . साईकिल से कन्या शिक्षा ,और शिक्षण से
"पंचर शिक्षक" को जोड़ा है .विद्यार्थी और शिक्षक के घर वाले तीर तो चलाएंगे ही .
नितीश जी सधे हुए नेता भी हैं .शरद यादव ,जार्ज जैसे को चार्ज किया .बिहार को अपना
समझकर ही न किसी को बिहार मसले में फटकने नहीं दिया .'एकोअहम द्वितीयोनास्ति'

कुछ भी हो अन्दर, 75 प्रतिशत लोग बाहर के लिपा पोती से प्रभावित है .एक मौका और
नितीश जी को मिले शायद . चलिए दुआ करते है कि भाजपा को जिस मुकाम पर इन्होने
पहुचाया है या इस चुनाव में जहाँ भेजने की तैयारी है .वो बिहारी मानस को नसीब न कराये.
आदत में सुधार लाना जरुरी समझें. जो जन मानस १५ साल लालू के लालटेन की लाल
रोशनी में गुजारा है ,उसे अगला पांच साल नीतिश की तीरंदाजी दिखने में हर्ज़ नहीं दिख रहा .
जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझेगी जनता .

:- Sanjay ( Indirapuram )

Monday, October 11, 2010

बिहार तमाशा - भाग दो

पटना पहुँच गया ! लोकल चैनल पर चुनाव की धूम है ! पर आम मतदाता अभी शांत है ! अन्तिम दौर में कई दलों ने आखिरी क्षण में अपने उम्मीदवार बदलते देखे गए !

"लालू राबडी " राज को जंगल राज कहा गया और कहा जाता है ! पर मुझे घोर आश्चर्य हुआ 'नितीश मोदी ' और 'सुशिल कुमार' की लिस्ट को देख कर ! फॉर एक्जाम्पल - 'वारसलीगंज' से नितीश मोदी के उम्मीदवार है - श्री प्रदीप महतो ! अब वहां के 'सवर्ण' मतदाता किस आधार पर 'तीर' पर मुहर लगायेंगे ! ये प्रदीप महतो इतने खतरनाक छवी के हैं की - बिहार का कोई भी 'पत्रकार' इनके बारे में कुछ लिखने की हिम्मत नहीं कर सकता है - अब चलिए - गोपालगंज - यहाँ के कुचायकोट से हैं - पप्पू पांडे - सतीश पांडे के छोटे भाई ! गृह विभाग के अनुसार पुरे बिहार में 'सतीश पांडे' से खतरनाक कोई और नहीं है ! पुरे ३६ गिरोह का मालिक और पिछले २० साल से उस क्षेत्र में हो रहे सभी राजनितिक हत्याएं का शक 'सतीश पांडे' पर जाता है !

.अनंत सिंह को ले लीजिये - बाढ़ में 'छोटे सरकार' के रूप में जाने जाते हैं ! नितीश का आशीर्वाद है - जीत जायेंगे पर ये आतंक हैं ! सबसे ज्यादा जुल्म इन्होने अपने ही लोगों पर किया है - जिसका परिणाम यह है की - इनके जान के दुश्मन इनके गाँव के ही 'विवेका पहलवान' हैं ! मुन्ना शुक्ल जेल में हैं सो इन्होने अपनी पत्नी को उम्मीदवार बनाया है ! कब तक हम सभी 'बाहुबलीओं' के आतंक के साए में जियेंगे ? और जो लोग इनकी वकालत करते हैं -  हतप्रभ हूँ !

खैर 'नितीश मोदी' की लिस्ट में ऐसे कई लोग भरे पड़े हैं ! ये कैसा राज है ? कौन सी मजबूरी है ? सवर्णों को किस रंग से नितीश रंगना चाहते हैं ? क्या भूमिहार-राजपूत -ब्राहमन में कोई साफ़ सुथरी छवी का नहीं था ? लोकसभा चुनाव में खुद को साफ़ बताने वाले नितीश कुमार को क्या हो गया ?
 
नितीश इन बाहुबलीओं की बदौलत सता तो पा लेंगे पर बिहार के लिए ये अच्छा नहीं है !
भाजपा की तो और बुरी स्थिति है ! पूरा पार्टी नितीश के पौकेट में है ! 'प्रधानमन्त्री' बनने की चाहत में इसका केंद्रीय नेत्रित्व 'नितीश' के इशारे पर नंगा होने को तैयार है ! सी पी ठाकुर ने अपनी ऐसी तैशी करवा ली ! इस्तीफा दे दिया तो दे दिया - वापस लेने से ये और कमज़ोर ही हुए ! पुत्र को 'परसों' एम एल सी बनाया जाएगा - राजनीती में परसों कभी नहीं आता ! अगर आया तो 'विवेक ठाकुर' नसीब वाले होंगे !




कौंग्रेस - करीब ८० यादव और मुस्लिम को कौंग्रेस टिकट दी है - मतलब साफ़ है - लालू की वोट में सेंध मारना !



प्लीज़ , जाती के नाम पर 'बाहुबलीओं' को समर्थन देना बंद कीजिए और नवबिहार का निर्माण कीजिए ! हाथ में दम है !
 
 रंजन ऋतुराज सिंह -  !

Thursday, October 7, 2010

मेरा गाँव - मेरा देस - मेरा त्यौहार - दशहरा - भाग बारह


हर जगह का 'दशहरा' देखा हूँ :) मुज़फ्फ्फरपुर -  रांची - पटना - गाँव - कर्नाटका - मैसूर - नॉएडा -गाज़ियाबाद :)

गाँव में बाबा कलश स्थापन करेंगे ! हर रोज पाठ होगा ! बाबा इस बीच दाढ़ी नहीं बनायेंगे ! पंडित जी हर रोज सुबह सुबह आयेंगे ! नवमी को 'हवन' होगा ! दशमी को मेला ! दशमी को हम सभी बच्चे मेला देखने जाते थे - हाथी पर् सवार होकर ;) ( सौरी , मेरी हाथी वाली किस्से पर् कई भाई लोग नाक - भों सिकोड़ लेते हैं )...महावत को विशेष हिदायत ...गान के सबसे बड़े ज़मींदार के दरवाजे के सामने से ले चलो ...जब तक मेरा हाथी उनका पुआल खाया नहीं ...तब तक मन में संतोष कहाँ ...:P  गाँव से दूर ब्लोक में मेला लगता था ! जिलेबी - लाल लाल :) मल मल के कुरता में ! फलाना बाबु का पोता ! कितना प्यार मिलता था ! कोई झुक कर सलाम किया तो कोई गोद में उठा कर प्यार किया ! किसी ने खिलौने खरीद दिए तो किसी ने 'बर्फी मिठाई' ! तीर - धनुष स्पेशल बन कर आता था ! लगता था - हम ही राम हैं :) पर् किस सीता के लिए 'राम' हैं - पता नहीं होता ! 

रांची में याद है  नाना जी के एक पट्टीदार वाले भतीजा होते थे - एच ई सी में - हमको मूड हुआ - रावणवध देखने का - ट्रक भेजवाये थे ! ट्रक पर् सवार होकर हम 'रावण वध' देखने गए थे ! ननिहाल से लेकर अपने घर तक - दुश्मन से लेकर - दोस्त तक - 'भाई ..बात साफ़ है ....मेरा ट्रीटमेंट एकदम 'स्पेशल' होना चाहिए ...अभी भी वही आदत है ...जहाँ हम हैं ..वहां कोई नहीं .. :P

मुजफ्फरपुर में 'देवी स्थान' ! बच्चा बाबु बनवाए थे - सिन्धी थे - पर नाम 'बिहारी' ! अति सुन्दर - दुर्गा की प्रतिमा  ! वहाँ से लेकर कल्याणी तक मेला ! पैदल चलते चलते पैर थक जाता था :( चाचा जैसा आइटम लोग पीठईयाँ कर लेता :) फिर बाबू जी एक आर्मी वाला सेकण्ड हैंड जीप ले लिए ! पूरा मोहल्ला उसमे ठूंसा जाता ! फिर रात भर घूमना :) झुलुआ झुलना ! कुछ खिलोने - चिटपुटिया बन्दूक  !  उस ज़माने में दुर्गा पूजा के अवसर पर् - ओर्केस्ट्रा आता था ! शाम से ही आगे की कुर्सी पर् बैठ जाना और प्रोग्राम शुरू होने के पहले ही सो जाना :) पापा मोतीझील के पूजा मार्किट से एक हरे रंग का 'एक्रिलिक' का टी शर्ट खरीद दिए थे - तब वो पी जी ही कर रहे थे - मोहल्ला के सीनियर भईया लोग के साथ घुमने गए थे - बहुत साल तक उस हरे रंग के टी शर्ट को 'लमार - लमार' के पहिने ..:)) 

पटना आ गया ! विशाल जगह था ! बड़ा ! माँ - बाबु जी घूमने नहीं जाते ! कोई स्टाफ साथ में ! भीड़ ही भीड़ ! मछुआटोली आते आते - लगता कहाँ आ गए ! तब तक आवाज़ आती - अमूल स्पेय की दुर्गा जी - पूरा भीड़ उधर ! ठेलम ठेल ! ये लेडिस के लाईन में घुसता है ? हा हा हा हा ! उफ्फ्फ ...बंगाली अखाड़ा ! नवमी को दोस्त लोग मिलता - कोई बोलता - फलाना जगह का मूर्ती कमाल का है - फिर नवमी को ..वही हाल ! 

 गाँधी मैदान और पटना कौलेजीयट में तरह तरह का प्रोग्राम होता - पास कैसे मिलता है - पता ही नहीं था ! गाँधी मैदान गया था - महेंद्र कपूर आये थे ! देख ही लिए :) एक बार मूड हुआ 'गाँधी मैदान' का रावण वध देखने का ! एक दोस्त मेरे क्लास का ही - हनुमान बना था - राम जी के साथ जीप पर् सवार था ! इधर से बहुत चिल्लाये - नहीं सुना :) एक बार गए - फिर दुबारा नहीं गए ! बाद में छत पर् पानी के टंकी पर् चढ  कर देखने का एहसास करते थे :)

थोडा जवानी की रवानी आयी तो सुबह में - सुबह चार बजे ..:)) जींस के जैकेट में ....बाल में जेल वेल लगा के ...जूता शुता टाईट पहिन के ...:)) आईक - बाईक पर ट्रिपल सवारी ...पूरा पटना रौंद देते थे ...

नॉएडा आ गए ! बंगाली लोग का एक मंदिर है - कालीबाड़ी ! वहाँ जरुर जाते ! नवमी को मोहल्ले में ही 'बंगाली दादा' लोग पूजा करता था ! जबरदस्त ! अब यहाँ एकदम एलीट की तरह ! मल मल का कुरता ! बेटा भी ! दुर्गा माँ को साष्टांग ! हे माँ - इतनी शक्ति देना की ..........! फिर प्रोग्राम ! रविन्द्र संगीत और नृत्य ! ये लोग बड़े - बड़े कलाकार बुलाते हैं - कभी कुमान शानू तो कभी उषा उथप ! गाना साना सुने ! ढेर बंगाली दादा लोग हमको 'बिहारी बाहुबली' ही समझता था - सो इज्जत भी उसी तरह ! पर् अच्छा लगता था !


रंजन ऋतुराज - इंदिरापुरम !

Wednesday, October 6, 2010

बिहार चुनाव - भाग एक

कल देर रात तक 'चन्दन' पास बैठा हुआ था ! बोला - भैया , अब आपको राजनीति ज्वाइन कर लेना चाहिए ...फिर हंसने लगा ..आप इतना "तीखा"  बोलते हैं - कौन आपके साथ रहेगा ? :(  फिर उसको बोला ..मेरा 'ब्लॉग' पढ़ो :) मै "बिहार राजनीति" का बाल कलाकार 'सचिन' हूँ :) बहुत देर तक बातें हुई !

इस बार अजीब हुआ - कई लोग फोन किये - रंजन जी , यही मौका है - कूद जाईये ! एक देर रात - राजीव कुंवर अड् गए - अभी बाओ डाटा भेजिए - अभी का अभी ! खैर , ना तो इतना पैसा है और ना ही 'कुब्बत' ! बेरोजगार होता - पटना में होता तो कोई और बात होती ! कई करीब के दोस्तों ने समझाया - अभी खेलो - कूदो , फिर आराम से "हनुमान कूद" करना :)

बिहार में एक कहावत है - किसी से दुश्मनी है तो उसको एक 'सेकण्ड हैंड गाड़ी' खरीदवा दो - दुश्मनी गहरी है तो 'चुनाव' लडवा दो :) एक जमाना था - जब चुनाव में खेत बिकते थे - अब 'चुनाव' में हारने के बाद भी लोग नॉएडा में प्लाट खरीदते हैं :) कॉंग्रेस के एक बहुत ही बड़े नेता से बात हो रही थी - बोले - क्या हीरो - कब आ रहे हो मैदान में ? मै एक शर्मीला लडका की तरह नजरें झुका मुस्कुराने लगा - वो बोले - अरे , इंदिरापुरम में फ़्लैट लिए हो न ..क़र्ज़ से लिए होगे ...एक चुनाव में सब क़र्ज़ खत्म हो जायेगा :)

देखिये , बाहुबली से डर नहीं लगता है ! बिलकुल नहीं ! डर लगता है - नेता सब से ! कहाँ 'सेट' कर दे और आप 'बैकुंठधाम' :( बात करीब तेईस साल पुरानी है - बिहार के प्रथम बाहुबली 'काली पांडे' जी हमारे सांसद हुआ करते थे ! मै मैट्रीक के परीक्षा के बाद अपने गृह जिला के दौरा पर् था और तत्कालीन मुख्यमंत्री 'श्री विदेश्वरी दुबे' जी भी आने वाले थे सो हम सभी उनकी आगवानी के लिए लोकल हवाई अड्डा पर् खड़े थे ! मेरी थोड़ी नोक झोंक 'काली पांडे' जी से हो गयी - जो बिलकुल मेरे बगल में थे ! मेरे दादा जी बीच बचाव करते - पर् मै पुरे आवेश में था जिसका भरपूर इज्जत "काली पांडे" ने किया - पर् इस छोटी सी घटना ने कईओं को आशा जगा दिया की - एक दिन मै भी .....

राजनीति ठीक है ..लेकिन 'हिंसा' देखकर डर लगता है ! बहुतों को मौत के घाट तक पहुंचते देखा हूँ ! कई करीबी ! यहाँ घात होता है ! मर्दों की तरह सामने से लड़ाई नहीं होती है ! जो कल तक आपकी उंगली पकड़ 'राजनीति का पाठ' पढ़ रहा था वो आज अपने निजी स्वार्थ के लिए आपकी हत्या करवाने में थोडा भी नहीं जिझकेगा - ये बहुत ही गलत है ! नगीना राय की हत्या देखी है ! उस दौर में "गोपालगंज" में कई हत्याएं देखी ! लगातार ! 

लेकिन ये नशा है ! नगीना राय को मरे १९ साल हो गए - एक बार फिर उनके पुत्र 'महेश राय' कॉंग्रेस की टिकट पर् चुनाव लड़ रहे हैं ! सोचा फोन करूँगा ! कई अपने अलग अलग पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं !

मंजीत हमारे विधायक होते थे ! पिछली दफा हार गए ! हमलोगों की बहुत इज्जत करते हैं ! नितीश ने उनको फिर एक बार टिकट दिया है ! आशा है जीत जायेंगे ! उनके पिता जी हमलोगों के विधायक होते थे - हमसभी उनको 'बाबूसाहब' कहते थे - छोटे सरकार ( सत्येन्द्र बाबु) के दाहिना हाथ ! राजनीतिक विरोध था पर् बड़े ही खानदानी थे ! 'बड़े आदमी' ! छोटापन नहीं था ! सत्येन्द्र बाबु के कैबिनेट में वो थे - मंत्री बनने के बाद सबसे पहले हमारे दरवाजे पर् आये थे - हमने भी उनके 'बडपन्नता' को इज्जत दी थी !

पारिवारिक मित्र और पटना में हमारे परिवार के अभिभावक 'कृष्णकांत बाबु' के परिवार से उनके बड़े लडके - चुन्नू बाबु गोरियाकोठी से भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं ! फरवरी २००५ में जीते भी थे ! इस बार उनको जरूर जितना चाहिए ! इस परिवार ने 'गोरियाकोठी' को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई है ! बिहार का कोई भी ऐसा जिला नहीं है जहाँ आपको इस गाँव की कोई लडकी डॉक्टर नहीं मिलेगी !

और क्या लिखूं ? सभी अपने जीते ! शुभकामना रहेगी !

पर् मुझसे 'नितीश कुमार' नहीं "घोंटाता" है :( 






रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !