Saturday, February 13, 2010

कौन बोलेगा की हम ‘बिकाऊ’ हैं

ऐसी टकसाल नहीं जो मुझे खरीद सके : नीतीश

हुज़ूर , कौन बोलेगा की हम ‘बिकाऊ’ हैं ? हुज़ूर कुछ बातें साफ़ साफ़ हैं –



‘उत्पाद एंड मध निषेध’ विभाग के मंत्री हैं – जमशेद शरीफ !

जमशेद शरीफ खुद बहुत बड़े व्यापारी हैं – ईमानदार भी हैं !

‘छः महीना से जमशेद जी, मुख्यमंत्री से मिलना चाह रहे थे “

किसी तरह १४ जनवरी को अपना लंबा खत – मुख्यमंत्री को पहुंचा दिए !

फलस्वरूप , २० जनवरी को उस विभाग की सचिव ‘ विजयलक्ष्मी’ का ट्रांसफर किया गया !

विजयलक्ष्मी जी के पति – नीतीश के सहायक हैं !

दोनों पति – पत्नी आई ए एस हैं !





जमशेद जी को मंत्रिपद से हटाना बहुत मुश्किल होगा – उसके दो कारण है – जमशेद जी भी को कोई टकसाल खरीद नहीं सकता ! और वो अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं – जिसके वोट की जरुरत नीतीश जी को है ! उनको सिर्फ अपने जिद से हटाना – अल्पसंख्यक वर्ग में एक गलत सन्देश जायेगा और जनता भी पूछेगी – किसी ईमानदार मंत्री से खुद को ईमानदार का दावा ठोकने वाले मुख्यमंत्री को इतनी ‘जलन’ क्यों ?



दैनिक जागरण के लिए सरकार के दरवाजे बंद हो चुके हैं – इसके मालिक ने भी ठान ली है ! सरकार का इतना असर है की – किसी भी दूसरे ‘अखबार’ ने इस खबर पर कुछ नहीं लिखा है –



शराब का ठेका जिस किसी भी व्यक्ति विशेष को दिया गया है – वो ‘दरबार’ का सब से करीबी है और अत्यंत पिछड़ा प्रकोष्ठ का अध्यक्ष भी है !


नीतीश भाग्यशाली हैं और ईमानदार भी हैं ! पर मेरे ईमानदार होने का कतई मतलब यह नहीं है की – मेरे परिवार के बाकी सदस्य भी ईमानदार होंगे ! अगर सब कुछ साफ़ है फिर – ‘जांच’ से परहेज क्यों ?
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रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

Thursday, February 4, 2010

भ्रष्टाचार की जरूरत !

अपूर्व शेखर जी हमसे बहस कर रहे थे – समाज में ‘क्रिमनल’ की कितनी जरुरत है ! वो दलील पर दलील दिए जा रहे थे – खास कर बिहार के सन्दर्भ में ! बढ़िया लगा !



‘क्रिमिनल’ और ‘भ्रष्टाचार’ दोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं! चलिए पहले गौर फरमाते हैं – ‘भ्रष्टाचार’ कितना जरुरी है ! बात २००४ की रही होगी – अचानक पटना जाने की जरुरत आ पडी ! सुबह सुबह , नॉएडा के रेलवे टिकट काउंटर पर गया तो भीड़ देख ‘माथा’ घूम गया ! होली का टाइम था ! किसी तरह – ‘पूछ-ताछ’ वाले काउंटर पर पहुंचा – धीरे से बोला – पटना जाना है  एकदम गाय की तरह मुह लटकाए हुए ! काउंटर वाला बोला – ‘हो जायेगा’ ! हम बोले आज के गाड़ी का ! ‘हो जायेगा’ - ‘गौहाटी राजधानी चलेगा ! हम बोले – चलेगा नहीं – दौडेगा ! टिकट मिल गया ! वैसे वहाँ ‘नो रूम’ दिखा रहा था ! बहुत इमरजेंसी था ! अगर ‘भ्रष्टाचार’ नहीं होता – तो हम सपरिवार – दो छोटे छोटे बच्चों के साथ कैसे पटना जाते ! उस ज़माने में – पैसा होते हुए भी मन से ‘हवाई जहाज’ की यात्रा का अवकात नहीं था !



आप सभी के जिंदगी में ऐसे कई अवसर आये हुए होंगे जहाँ ‘भ्रष्टाचार’ के कारण आपको सहूलियत हुयी होगी और आप मन ही मन ‘भ्रष्ट’ अधिकारिओं को दुआ दिए होंगे ! बिहार में ट्रांसफर – पोस्टिंग बड़े बड़े लोगों का एक व्यवसाय है ! अगर यहाँ ‘ भ्रष्टाचार’ ना हो तो – कई चाचा – मामा –लोग प्रतिभा रहते हुए भी ‘झुमरी तिलैया’ जैसे जगहों में जिंदगी गुजार दें ! ‘भष्टाचार’ के कारण ही कई प्रतिभावान लोग राजधानी का मुह देख लेते हैं ! ‘ट्रांसफर-पोस्टिंग’ के समय बिलकुल ही कॉर्पोरेट की तरह ‘भ्रष्टाचारी’ काम करने लगते हैं – एक बड़ा आदमी सौ-पचास का ठीक लेता है फिर खुद वो अपने अंदर डीलर की नियुक्ति करता है और ये डीलर जरुरतमंद और प्रतिभावान ‘अधिकारिओं-इंजिनियर इत्यादीओं को खोज उनसे दाम तय कर के – उनका काम करवाता है ! कई डिपार्टमेंट में देखा गया है की ‘दाम’ में कोई मोल भाव नहीं होता ! दुकानों की तरह – ‘मोल भाव कर हमें लज्जित न करें ‘ !

मेरा यह भरपूर मानना है की – अगर ‘भ्रष्टाचार’ न हो तो – को ‘बाबू’ आपकी फाईल कई वर्षों तक न देखे ! वो तो ‘भ्रष्टाचार’ ही है की आपका कोई रुका काम जल्द से जल्द हो जाता है ! ऐसे लोग ओवर टाईम काम करते हैं – घरों को दफ्तर बना – आपकी जिंदगी महफूज करते हैं !



भ्रष्टाचार के कारण सरकार बनती है – कई बार गिरने से बचती है – देश में ऐसे ‘भ्रष्टाचार’ के कारण ‘राजनितिक स्थिरता आती है जिसका लाभ समाज का हर वर्ग उठता है ! वर्ना आदमी अपने पावर के गुनाम में – न जाने क्या कर बैठे ! वो तो ‘भ्रष्टाचार’ ही जो उसको कुछ काम करने पर मजबूर कर देता है !

 


भ्रष्टाचार से सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढती है ! बाल बच्चों की अच्छी शादी बियाह हो जाती हैं – वरना भूखे नंगे ईमानदार की बेटी से कौन नौजवान बियाह करेगा ?



विशेष , आप लोग भी अपनी प्रतिक्रिया दें ....!




रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

Wednesday, February 3, 2010

बिहार बदल रहा है !

    बिहार बदल रहा है ! सड़कें चौड़ी हो गयी हैं ! स्कूल में शिक्षक आ गए ! अस्पताल में डाक्टर ! और क्या चाहिए ! चारों तरफ बिहार के राजा ' नीतीश कुमार ' जी की जयकार हो रही है - पर वो आदमी खुद को समाज का सेवक बताता है ! यही तो बड़प्पन है ! बड़प्पन ऐसा की - रिक्शा पर चढ़ कर वो मनपसंदीदा सिनेमा जाते हैं - सामान्य स्तर के रेस्तरां में डोसा खाते हैं - कभी पानी में तो कभी गाँव में कैबिनेट की बैठक बुलवाते हैं ! गरीब गुरुबा की सोचते हैं - महिलाओं की सोचते हैं ! बिहार को 'भ्रष्टाचार' विहीन बनाने का प्रण लिया है ! अब कोई ट्रांसफर पोस्टिंग पैसा के लेन देन से नहीं होगा ! भ्रष्ट अधिकारिओं के बंगलों में स्कूल खुलेगा ! जय हो ! जय हो ! लोग कहते हैं - जो काम पिछले १५-२० साल में नहीं हुआ - वो राजा बाबू ने ३-४ साल में कर दिखाया है ! जनता - जनार्दन को और क्या चाहिए !

राजस्व में इजाफा हुआ है ! गली - मोहल्ला में 'पाउच' बड़े ही सुलभता से मिलने लगा है ! अब आप 'बिहारी' नहीं हैं तो पाउच का अर्थ हम कैसे समझाएं ? इंडिया टुडे का यह समाचार पढ़ लीजिये - क्लिक करें
 
अगर आप बिहारी पत्रकार हैं - कुछ नुक्ता चीनी कर रहे हैं - जिससे ' बिहार' की गलत छवी पेश हो रही है - तो तुरंत आपको कोई दरबारी 'टोक' देगा - कृपया , दुष्प्रचार ना करें ! अगर फिर भी आप नहीं माने - तो बहुत सारा उपाय है !
 
रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

Monday, February 1, 2010

राजा शयन-कक्ष में आराम हेतु चले गए हैं !

'मेहताना' की आवाज़ मजदूरों ने बुलंद कर दी है ! आपको यहाँ तक ठेल कर लाने वाले - अब , पसीने की कीमत मांग रहे हैं ! आपको ठेल कर गद्दी तक पहुँचाने वाले - आपके चवन्नी और अथ्ठंनी से खुश नहीं हैं - आपके जैसे जिद्दी को ठेलना आसान नहीं था ! आप अकड़ में ही बैठे रहते थे ! रास्ता मुश्किल था - फिर भी आपको ठेल -ठाल के यहाँ तक पहुंचा diya ! पर जब आप अपना 'बटुआ' खोलने लगे तो - 'अशर्फी' और 'गिन्नी' अपने परिवार में बाँट दिए ! वो मजदूर आपके लिए अछूत बन गए ! पसीने से तर-बतर 'थोडा' स्वार्थ में लथ-पथ मजदूर अब आपको 'बेईमान' लगने लगे हैं ! आप भी होशिआर हैं - पहाडी पर खुद को ठेल्वाते वक़्त - कितना प्रलोभन दिया था - बस 'गद्दी' तक पहुँचने दो ! तुम मजदूरों पर 'अशर्फी' लुटाऊँगा ! 'कोहिनूर ' को तेरे ताज पहनाऊँगा ! १५ साल से भूखे गरीब - मजदूर - लालच में आ गए ! फटेहाल वस्त्रों को न देख - 'कोहिनूर' की कल्पना करने लगे ! काश ! काश - एक बार समझ जाते - ये भी बेईमान निकलेगा ! 'अशर्फी' अपने परिवार के नंगों और लंगड़ों को देगा ! पर , अब तो चिडिया चुग गयी खेत !



राज दरबार लगा है ! हुज़ूर , कुछ मजदूर महल के आगे चिल्ला रहे हैं - 'मेहताना' मांग रहे हैं ! राजा मृदुभाषी हैं ! सुना है अब वो 'गदरा' गए हैं ! बोले - अरे भाई , रोज तो चवन्नी दे रहा था ! क्या इससे पेट नहीं भरा ? हुज़ूर , वो अशर्फी की मांग कर रहे हैं ! राजा बोले - बेवकूफ हैं - क्या किसी ने पराये को अशर्फी दिया है ? दरबारी - जय कार करने लगे ! मजदूरों की आवाज़ खो गयी !



राजा शयन-कक्ष में आराम हेतु चले गए हैं ! दरबारी आज का अशर्फी गिनने में लग गए !

रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !