Thursday, February 12, 2009

"चलनी हंसली सूप के - तोरा में बड़ा छेद "

"चोरी किया रे ! क्रेजी किया रे ! " कितना अछ्छा लगता है ! एकदम झकास ! ऋतिक रौशन और ऐश्वर्य राय जब चोरी करें तो हम ताली बजाते हैं ! बाबा , ये हैं टी वी पत्रकारिता के बेताज बादशाह ! हर एक टी वी पत्रकारों की चाहत - काश इस चॅनल में नौकरी मिल जाती ! ज्यादा नही , कल के इनके दो प्रमुख रिपोर्ट की चर्चा करें !
एक शाम ८.३० में आता है - विषय था - " भारत में मनोरोग" ! देखा बहुत अछ्छा लगा ! मजा आ गया ! लगा की कितना अच्छा प्रोग्राम बनाते हैं - ये लोग ! तभी तो बिना टीआरपी के भी ये चॅनल सब से अच्छा है ! थोड़ी देर बाद सुबह की बासी अखबार उठाया ! अरे ये क्या ? "भारत में मनोरोग " तो टाईम्स ऑफ़ इंडिया ne सुबह तड़के ही छाप दिया ! धत् तेरे की - मै बेवजह बासी समाचार पर ताली पीट रहा था !
अब चलिए - इनके दुसरे प्रोग्राम पर ! एंकर हैं - भोजपुरी मिक्स बिहारी टोन में हिन्दी बोलने वाले ! वैसे इनकी बोली और घबराहट में बहुत सुधार हुआ है ! रिपोर्ट का विषय था - " कोला वार" ! बहुत बढ़िया प्रस्तुति ! मजा आ गया ! अपने मनपसंदीदा एंकर को देख मन प्रफुल्लित हो गया ! बेटा को बोला - देखो , ये भी अपने गाँव तरफ़ के ही हैं ! बहुत पैसा मिलता है ! बड़ा गाडी है ! बहुत बड़े सोसाइटी के टॉप पेंट हाउस में रहते हैं ! और मेरी तरह ये भी "ब्लॉग" लिखते हैं ! बेटा भी मन ही मन सोचा होगा की उसके बाबु जी भी 'बड़े लोग" के बारे में कुछ जानते हैं ! प्रोग्राम ख़त्म हुआ और मै फ़िर एक बार अखबार की तरफ़ मुडा ! धत् तेरे की - यह प्रोग्राम तो सुबह की बासी इकनॉमिक टाईम्स के पहले पन्ने पर छापा "कोला वार " की हु बहु कॉपी है !

घर से लंच कर के अभी अभी लौटा हूँ - वहां समाचार चल रहा था और कुछ बेहतर एन डी टी वी - इंडिया देख रहा था - दोपहर के समाचार में "बापू के चश्मे की नीलामी " का रिपोर्ट चल रहा था ! यह रिपोर्ट आज के टाईम्स ऑफ़ इंडिया के पहले पन्ने पर छपा है !


क्या यही आपकी अवकात है ?


रंजन ऋतुराज सिंह !

6 comments:

उपाध्यायजी(Upadhyayjee) said...

बहुत खुब! क्या किजियेगा। एक तो बासी समाचार दिखाते हैं और डांटते भी हैं कि देखते क्यों नहीं हो। चैनल बदल बदल कर अंगुरी मे दरद हो गया, लेकिन हर जगह बासी का ही बोलबाला। शिर्षक बड़ा बेजोड़ है। राजीव गांधी के पुत्र और इंदिरा जी के पौत्र (हमेशा बेचारे अपने से ज्यदा अपने बाबुजी और दादी से अपना और उनके काम का परिचय देते हैं) राहुल जी
जब गांव मे सोने जाते हैं तो हर चैनल पर दिखता है। बिहार के सि एम गांव मे कैबिनेट मिटिंग करतें हैं तो किसी चैनल पर नजर नहीं आता है।
चैनल्स मे भी सेंटर और राज्य के खबरों का बंटवारा है क्या?

डॉ .अनुराग said...

खरी बात बंधू !

Fighter Jet said...

bhai sahab sari duniya 'cut-copy -paste' ke sahare chal rah hai...to TV walse kaise achute rahe!

Ranjeet Kumar said...

Bhai ye anchor kaun tha...naam nahin bataya sirf parichay bata diya..

रंजना said...

सबसे पहले तो शीर्षक मन मोह गया......बाकी बहुत बहुत सही लिखा है आपने...रोज तो यही देखते हैं.

संजय शर्मा said...

काहेला टीवी देखते हैं ? अख़बार पढ़ के टीवी देखा जाता है ? दोनों में से कौनो एगो काम ही कीजिये .या तो पढिये या फ़िर देखिये .