आमिर खान द्वारा निर्देशित " तारे जमीन पर " पर देखा ! मेरी नज़र मे यह और "चक दे इंडिया " २००७ की कुछ कमाल के सिनेमा हैं ! यह संतोषजनक है की अब व्यावसायिक सिनेमा भी संदेश देने लगे हैं ! आमिर खान कमाल के एक्टर हैं और "तारे ज़मीन पर " से उन्होने यह भी दिखाया है की वह एक कुशल निर्देशक हैं ! वैसे आमिर खान ने सिनेमा के प्रचार मे भी काफी समय और बहुत कुछ "मीडिया" को दिया है !
आम आदमी की जिन्दगी से जुडी और बिना किसी लटके झटके के भी एक सफल सिनेमा दिखाया जा सकता है - तारे ज़मीन पर संवेदना से भरपूर सिनेमा है जिसमे पैसा वसूल के साथ साथ कई संदेश एक साथ नज़र आएंगे ! आपको अपने बच्चों के साथ साथ अपना बचपन भी नज़र आएगा ! आपके कई गुरुजन भी नज़र आएंगे ! और अगर आप थोडा भी संवेदनशील हैं तो रुमाल को साथ ले जाना नही भूलियेगा ! महिलाएं , बाल्टी भी ले जा सकती हैं ! मध्यमवर्ग के लिए यह सिनेमा देखना बहुत जरुरी है - क्योंकि आज़ादी के बाद यह वर्ग "शिक्षा" को सिर्फ और सिर्फ रोजगार के रुप मे देखता है - जिसके कारण समाज मे कई "साइड इफेक्ट" आ गया है ! और हमारे जीवन शैली , भाग दौड़ , पैसा- पैसा के खेल मे बच्चे काफी बुरी तरह से प्रभावित हैं ! महानगर तो और त्रशादी से गुजर रहा है - जिसके कारण अब " छोटे शहर " के बच्चों ने कमाल दिखाना शुरू कर दिया है !
आज के दौर मे "माँ" भी संवेदनशील है ! सिनेमा के साथ साथ सिनेमा हॉल मे भी मुझे यह नज़र आया ! मंहगे मोबाइल , कंधे पर लप टॉप और गला लटकता 'कम्पनी' का पट्टा होने के वावजूद लोग अपने बच्चों के साथ सिनेमा हॉल मे नज़र आये ! पटना से बिछुड़ने के बाद आज पहली दफा , सिनेमा खतम होने के बाद मैंने भी लप टॉप वालों के साथ जम कर ताली बजाया !
मल्टीप्लेक्स मे सिनेमा देखना काफी महंगा सौदा है - पर हम बच कैसे सकते हैं ? "मेट्रो समाज " के साथ भी तो चलना है ! :)
दिल्ली वालों के लिए खुशखबरी है की - वहाँ ये "टैक्स फ्री " है !
रंजन ऋतुराज सिंह , नॉएडा
रंजन ऋतुराज सिंह , नॉएडा