Wednesday, December 16, 2015

बचपन से ....

#OldPost
जितनी जिंदगी - उतनी कहानियां और उतने ही जीवन दर्शन ! हर व्यक्ती जीवन को सिर्फ और सिर्फ अपने ही आँखों से देखना चाहता है - फिर भी उसके आँखों पर कई परदे होते हैं ! एक महतवपूर्ण फैक्टर होता है - चाईल्ड साइकोलोजी ! जब कुछ सिखने की उम्र होती है - तब आप क्या सिखते हैं और क्या अपनाते हैं ! आपका खुद का खून होता है - फिर आपके आस पास एक माहौल होता है - उस माहौल में कई महान आत्माएं होती हैं - जो आपसे दूर होकर भी आपके करीब होती हैं - माता पिता के अलावा भी कई और लोग होते हैं - जिनका एक जबरदस्त प्रभाव आपके जीवन पर होता है - कई ऐसी आत्माओं के किस्से / घटनाएं आपके जेहन में इस कदर घुस जाती हैं - आप ताउम्र उसमे क़ैद होते हैं ! 
बहुत पुरानी एक बात याद है - पिता जी पटना के नाला रोड में अपना पहला क्लिनिक खोले थे - उस वक़्त पटना शहर हमलोगों के लिए किसी विदेश से कम नहीं था - कोई अपना / जान पहचान ..बहुत कम ! शाम के वक़्त ..मैं अपने स्कूल से लौटकर - उत्साह में पापा के क्लिनिक में चला गया - पापा नहीं थे - अचानक देखा - पटना के एक मशहूर डाक्टर अपने कई दोस्तों के साथ - पैदल ही आ गए  ! मैं हैरान था - उनकी सरलता पर ! वो एक घटना थी - जो ताउम्र मुझे आकर्षित किये रखी और मैं अपने जीवन में जब कभी भी किसी अपने से मिला - खुद को बहुत ही नेचुरल और सरल रखने की कोशिश की ! उनके एक और दोस्त होते थे - पर वो मुजफ्फरपुर में पिता जी के 'हेड' होते थे - हम सभी पटना में सेटेल हो चुके थे - अचानक एक सुबह हमारे दरवाजे पर खटखटाहट हुई - मैंने दरवाजा खोला - उनको पाया - पता चला - वो मुजफ्फरपुर में एक मंदिर बनवा रहे हैं - पिता जी चुप चाप नज़रें झुका उनकी बात सुन रहे थे - अपना चेक बुक निकाले और जितना पैसा था - सभी दे दिए - वहां मैं भी खडा था - वो एक भाव था - ताउम्र मुझे प्रभावित किया ! ये दोनों दोस्त बिहार मेडिकल में - अपने अपने क्षेत्र में 'भीष्मपितामह' के रूप में जाने गए !
~ १६.१२.२०१२

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