Saturday, May 30, 2015

प्रेम और युद्ध ....


दिनकर लिखते हैं - " समस्या युद्ध की हो अथवा प्रेम की, कठिनाइयाँ सर्वत्र समान हैं। " - दोनों में बहुत साहस चाहिए होता है ! हवा में तलवार भांजना 'युद्ध' नहीं होता और ना ही कविता लिख सन्देश भेजना प्रेम होता है ! युद्ध और प्रेम दोनों की भावनात्मक इंटेंसिटी एक ही है ! युद्ध में किसी की जान ले लेने की शक्ती होनी चाहिए और प्रेम में खुद को विलीन करने की शक्ती ! दोनों का मजा तभी है - जब सामनेवाला भी उसी कला और साहस से मैदान में है ! कई बार बगैर कौशल भी - साहस से कई युद्ध या प्रेम जीता जाता है - कई बार सारे कौशल ...साहस की कमी के कारण वहीँ ढेर हो जाते हैं ...जहाँ से वो पनपे होते हैं ! और एक हल्की चूक - युद्ध में जान ले सकती है और प्रेम में नज़र से गिरा सकती है ! 
इतिहास गवाह है - ऐसे शूरवीरों से भरा पडा है - जिसने प्रेम में खुद को समर्पित किया और वही इंसान युद्ध में किसी को मार गिराया - यह ईश्वरीय देन है - भोग का महत्व भी वही समझ सकता है - जिसने कभी कुछ त्याग किया हो ! 
कहते हैं - राजा दशरथ किसी युद्ध से विजेता होकर - जब कैकेयी के कमरे में घुसे तो उनके पैर कांपने लगे - यह वही कर सकता है - जिसे युद्ध और प्रेम दोनों की समझ हो ! दोनों में पौरुषता और वीरता दोनों की अनन्त शक्ती होनी चाहिए ! पृथ्वीराज चौहान वीर थे - प्रेम भी उसी कौशल और साहस से किया - जिस कौशल और साहस से युद्ध ! मैंने इतिहास नहीं पढ़ा है - पर कई पौरुष इर्द गिर्द भी नज़र आये - जिनसे आप सीखते हैं ! हर पुरुष की तमन्ना होती है - वो खुद को पूर्णता के तरफ ले जाए - और यह सफ़र आसान नहीं होता ! 
युद्ध और प्रेम ...दोनों के अपने नियम होते हैं - और दोनों में जो हार जाता है - उसे भगोड़ा घोषित कर दिया जाता है ! रोमांस / इश्क प्रेम नहीं है ...महज एक कल्पना है ! फीलिंग्स नीड्स एक्शन - जब भावनाएं एक्शन डिमांड करती हैं - तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है - तब पता चलता है - ख्यालों को मन में पालना और उन्हें हकीकत में उतारना - कितना मुश्किल कार्य है ! 
युद्ध के सामान ही प्रेम आपसे एक एक कर के सब कुछ माँगता चला जाता है - देनेवाला किसी भी हाल में लेनेवाले से उंचा और ऊपर होता है - युद्ध में हारने वाला आपसे माफी मांगता है - प्रेम में बहाने बनाता है - युद्ध में आप माफ़ कर सकते हैं - पर प्रेम में कभी माफी नहीं मिलती - युद्ध भी कभी कभी प्रेम में बदल जाता है और सबसे बड़ी मुश्किल तब होती जब आप जिससे प्रेम करे - उसी से युद्ध करना पड़े ! और उसी इंटेंसिटी से करें - जिस इंटेंसिटी से प्रेम किया था - फिर तो ....वह दुबारा भगोड़ा हो सकता है ...:))
~  रंजन ऋतुराज

@RR

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