Tuesday, September 30, 2014

रोबिन हुड


कल देर रात ढाई बजे मेरे फ़ोन पर कुछ सेकेण्ड के लिए एक कॉल आया - मै हेलो करता तब तक बंद हो गया - नौजवानों की तरह मै भी अपने स्मार्ट फ़ोन को या तो हाथ में रखे रखे सो जाता हूँ या फिर तकिया के बगल में ! इसलिए मैंने तुरंत कॉल बैक किया - इतनी देर रात फोन आना कुछ अजीब था - हम भी थोडा घबरा गए - दूसरी तरफ मेरे फेसबुक मित्र एवं पेशे से न्यूरोसर्जन थे - चेन्नई से - देर रात हॉस्पिटल से लौट रहे थे - रास्ते में पुलिस वालों ने उनके साथ कुछ बदतमीजी की - खुद भी पहले से अपने अपार्टमेंट में पानी की समस्या को लेकर वो परेशान थे ऊपर से स्वभाव भी 'विद्रोही' ...! उनकी बात को एक मिनट में मै समझ गया - और बोला आप मुझसे तब तक बात करते रहिये जब तक की आप अपने अपार्टमेंट में प्रवेश ना कर जाएँ ! जब वो सुरक्षित ढंग से अपने अपार्टमेंट में प्रवेश कर गए - हम दोनों ने बात बंद कर दिया ! 
काफी देर तक यूँ जागा रह गया ! वो न्यूरोसर्जन हमउम्र हैं और इंटरनेट से काफी दिनी से जान पहचान है - हालाकी पिछले दस साल में मुश्किल से दो तीन बार ही बात हुई है - तब जब मैंने उनको बिहार लौटने का दबाब बनाया !
काफी देर तक यूँ जागा रह गया ! मन में लगा - सामने वाले को कितना विश्वास होगा - तभी तो वो इतनी देर रात फोन किया - हजारों किलोमीटर दूर - मै रात ढाई बजे कुछ नहीं कर सकता था - सिवाय इसके - उनके मन के भय को ख़त्म कर सकूँ - थोड़ी देर की बात - उनमे एक असीम सुरक्षा की भावना पैदा की होगी ! 
मै कोई रोबिन हुड नहीं हूँ - पर वक़्त आने पर रोबिन हुड का रोल भी अदा किया हूँ ! 
पर सबसे बड़ी खुशी इस बात की हुई - कोई अनजान मुझपर असीम विश्वास रखे हुए है - किसी भी व्यक्तित्व का सबसे बड़ा पुरस्कार यही होता है - जब आप पर कोई व्यक्ती / परिवार / समाज विश्वास रखे ! 
ईश्वर से प्रार्थना रहेगी - मेरे मन को शुद्ध और व्यक्तित्व को इतना विशाल बनाए - सामने वाला अनंत विश्वास को आजीवन कायम रख सके ! 
मै खुश हूँ ...:))



@RR - १ अगस्त २०१३ 

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