Tuesday, September 30, 2014

अमर बोस को सलाम .....!!!


बात करीब सत्रह अठारह साल पुरानी है - बंगलौर के मजेस्टीक बस स्टैंड के मैगजीन कॉर्नर पर एक नयी मैगजीन पर नज़र पडी - वो थी "इण्डिया टूडे प्लस" - दाम शायद पचास रुपैये - तब के जमाने में काफी महंगी - मैगजीन के कवर पेज पर एक बड़े आलिशान कुर्सी पर बैठे "अमर बोस" - खुद की जिज्ञासा रोक नहीं पाया और मैगजीन खरीद सारी रात पढता रहा - प्रथम परिचय 'अमर बोस' के साथ - एक सुखद सुचना और वर्णन थी - विश्व के बेहतरीन साउंड स्पीकर के निर्माता एक भारतीय हैं - दुनिया के बेहतरीन स्पीकर पर एक भारतीय नामलिखा हो "बोस" - किसी भी भारतीय के लिए यह गौरव की बात है ! 
आज सुबह के अखबार से खबर मिली अमर बोस नहीं रहे - सदा के लिए अमर हो गए ! अमर बोस पर सभी अखबारों में प्रमुखता से कुछ न कुछ छापा है - हिन्दुस्तान टाईम्स में प्रेसिडेंसी कॉलेज के एक प्रोफ़ेसर का लेख भी आया है - जो अमर बोस के करीबी होते थे - लिखते हैं - 'अमर बोस जब अमरिका में अपने स्कूल में पढने को जाते थे - वहां के बच्चे उन्हें 'नीग्रो-नीग्रो' कह कर चिल्लाते थे - और अमर बोस चुप चाप अपना सर झुका कर स्कूल के लिए - अपने उस अपमान को बर्दास्त करने की शक्ती - जिसके लिए वो जिम्मेदार नहीं - सचमुच एक महान आत्मा को दर्शाता है - मुट्ठी भींच अपने सपने को और विशाल करने की शक्ती यहीं से मिली होगी ' 
अपनी कंपनी 'बोस कॉर्पोरेशन' की शुरुआत कर - अपने विद्यार्थीओं के सहयोग से अपने क्षेत्र में विश्व के बेहतरीन प्रोडक्ट को लाना - आसान नहीं है - अन्दर बहुत दम चाहिए - एक अनन्त विश्वास के साथ समाज को कुछ देने की क्षमता ! दो साल पहले अपनी कंपनी में अपने सारे शेयर मासचुसेट्स विश्वविद्यालय को सौंप उन्होंने साबित कर दिया - वो सचमुच एक विशाल व्यक्तित्व के मालिक थे ! 
उनके व्यक्तित्व के बारे में जब कभी सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा - मेरे गुरु जो सिर्फ विषय ज्ञान ही नहीं अपने विद्यार्थी के चौतरफा व्यक्तित्व विकास की सोच - मुझे इस उंचाई तक लेकर आये - उनके गुरु कहते थे - तुम्हे अपने पूर्वजों की धरती को देखना और समझना चाहिए - इसी क्रम में - स्कालरशिप पर अमर बोस को भारत भेजा गया - साथ में एक दोस्त - जो हर दिन की गतिविधि रेकोर्ड कर - अमर बोस के गुरु के पास एक रिपोर्ट जमा करे .... :)) 
जब कोई भारतीय प्रोफ़ेसर मासचुसेट्स जाता और उसे पता चलता की अमर बोस फ्रेशमैन क्लास ले रहे हैं - भारतीय प्रोफ़ेसर हैरान होते थे - क्योंकी यहाँ हमारे भारत में 'काबिल प्रोफ़ेसर' जूनियर सेक्शन के क्लास नहीं लेते हैं - यह उनके अहंकार को चोट पहुंचाता है ..:)) 
अमर बोस को सलाम .......!!! 
आप अमर है ......!!!

@RR - १४ जुलाई - २०१४ 

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