Friday, October 29, 2010

बिहारी प्राईड : भाग एक

कल रात सी एन एन- आई बी एन  पर् 'बिहारी प्राईड' पर् एक सकरात्मक बहस चल रही थी ! हम सपरिवार बड़े ही ध्यान से देख रहे थे ! अच्छा लगा ! नीतू चंद्रा ने बड़े ही भोले अंदाज में अपनी बात कही , इरफ़ान भी ! सैबाल और संजीव की मजबूरी थी - नितीश सरकार के पक्ष में बोलने की ! खैर , कुल मिला कर बेहद 'पोजीटिव शो' ! सागरिका घोष बधाई की पात्र है - वो अभी हाल में पटना भी गयी थी !

अभी नीरज से बात हो रही थी - हमदोनो साथ में ही पढ़े हैं - कॉलेज के दिनों में कई राजनीतिक बहस होती थी - राजनीति उसकी भी रुची है ! एल एंड टी में प्रोजेक्ट मैनेजर है ! शुरू से ही महाराष्ट्र , गुजरात , राजस्थान में उसकी पोस्टिंग रही ! कहता है - हाल फिलहाल तक खुद को 'बिहारी' कहने पर् अजीब लगता था लेकिन अब बिहार से आती अच्छी खबरें 'फील गुड' का फैक्टर देती हैं और बिहारी कहने पर् शर्म नहीं होती ! नितीश और मीडिया को धन्यवाद दे रहा था !

ऐसा एक नीरज नहीं है - करोड़ों हैं ! नितीश ने कुछ किया हो न किया हो - थोडा तो सर ऊँचा कर ही दिया - इसमे बिहार और बाहर कि मीडिया का भी प्रमुख रोल है ! अच्छा होना और अच्छा प्रचार होना दोनों अगर साथ हों तो छवी सुधरती है ! छवी सुधरने में वर्षों लग जाता है और छवी गलत होने के लिए एक सेकेण्ड काफी है !

मै जब फाईनल इअर में पढने जाता हूँ तो - पहले लेक्चर में अपने विद्यार्थीओं को कहता हूँ - अपनी आँख बंद करो और 'इन्फोसिस' को सोचो - कैसी तस्वीर मन में आयी - अधिकतर का यही जबाब होता है - 'नारायणमूर्ती और नंदन निलेकनी' का ! जी , यही है लीडरशीप !

नितीश की लीडरशीप उन बिहारीओं के लिए अच्छी है - जिन्हें राजनीति से कुछ लेना देना नहीं है या जिनके परिवार का अब कोई बिहार सरकार में ना हो ! नितीश के पक्ष में कितना लहर है - यह हमको नहीं पता - पर् 'पति-पत्नी' की पन्द्रह साल की अजीबोगरीब शासनकाल ने नितीश को बहुत मदद किया - इस चुनाव में भी 'एंटी लालू' लहर है - दुर्भाग्यवश कॉंग्रेस और भाजपा दोनों इसको भुनाने में असफल हुए और नितीश विजेता ! नितीश जब आये थे - बिलकुल ताज़ा - चंद दिनों के लिए वो 'स्टेटमैन" रहे फिर वो एक पके राजनेता के रूप में अपनी वोट बैंक बनाने को बढे ! विकास नहीं किया - रंगाई - पोताई जरुर किया - झरझर हो चुके बिहार में हल्की पोताई भी दूर से दिखने लगी - वो और बहुत कुछ कर सकते थे - पर् वो बकरे को किश्तों में काटना चाहते थे और सफल भी हुए - विकल्पहीनता उनके लिए वरदान बनी !

अफसरों से हमेशा घिरे रहनेवाले नितीश ने हर गाँव - टोला में कुकुरमुता की तरह उग आये - क्षेत्रीय नेताओं को खत्म कर दिया - जिसका तत्काल राहत आम जनता को मिला - वैसे सभी नेता / अपहरणकर्ता अब अपनी अवकात के हिसाब से सड़क निर्माण में लग गए और धीरे धीरे राजनीति नितीश केंद्रित होती चली गयी ! कई कांटो को वो बहुत आसानी से निकल - देह झाड खडा हो गए ! कई जगहों पर् वो लालू से भी ज्यादा कट्टर लगे - जैसे सभी मलाईदार पदों पर् सिर्फ अपनी जाति के लोगों को बैठाना - लेकिन यह सन्देश आम जनता तक नहीं पहुंचा और पहुंचा भी आम जनता को कोई फर्क नहीं पड़ा - कौन इंजीनियर किस जाति और जिला का है - जनता को बस यही समझना था की - कॉंग्रेस राज में बनी सड़क - रिपेयर हो रही है ..या नहीं ! जी , कहने का यही मतलब की - नितीश राज में कोई नया प्रोजेक्ट नहीं आया ! १९९० में कॉंग्रेस ने जिन सडकों को जिस हालात में छोड़ा था - नितीश ने पन्द्रह साल में बेहद खराब स्थिति में आ चुकी सडकों को ठीक बनवा दिया ! जनता खुश !

आम जनता को और क्या चाहिए ! पिछले २० साल में पूरा एक नया जेनेरेशन आ चूका है जो विकास चाहता है - बिहार को महाराष्ट्र और गुजरात देखना चाहता है और उसके पास नितीश से बढ़िया कोई विकल्प नहीं - जब तक की नितीश कुमार अपनी जातीय कमजोरी के कारण बुरी तरह बदनाम ना हो जाएँ - होशियार होंगे बिहार कि जनता - जिसका हर एक तबका उनको वोट दिया है - उसका आदर करते हुए अपने आवास को 'नालंदा माफिया' से मुक्त करवाएंगे - भ्रष्टाचार चरम सीमा पर् है !

पर् ..अभी आप ही हमारे प्राईड बने हुए हैं - अंदर कैसे हैं - आम जनता को इससे कोई मतलब नहीं - यही आपकी जीत है - बधाई स्वीकार करें !!

रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

5 comments:

Shankar said...

ज्यादा क्या कहूँ, समय नहीं है, समय चुराकर बिहारी प्राइड पढ़ा| इतना ही कहूँगा, की आपके इस पोस्ट को अभी नहीं भविष्य में लोग (खासकर मीडिया वाले) उद्धृत करेंगे|

लीडरशिप का आजतक का सबसे सटीक और सुलझा हुआ उदाहरण सीखने को भी मिला|
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मै जब फाईनल इअर में पढने जाता हूँ तो - पहले लेक्चर में अपने विद्यार्थीओं को कहता हूँ - अपनी आँख बंद करो और 'इन्फोसिस' को सोचो - कैसी तस्वीर मन में आयी - अधिकतर का यही जबाब होता है - 'नारायणमूर्ती और नंदन निलेकनी' का ! जी , यही है लीडरशीप !
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और नितीश के पिछले पांच साल के शासन का सर्वोत्तम विश्लेषण इन चंद शब्दों में:-

नितीश की लीडरशीप उन बिहारीओं के लिए अच्छी है - जिन्हें राजनीति से कुछ लेना देना नहीं है या जिनके परिवार का अब कोई बिहार सरकार में ना हो!

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तुस्सी ग्रेट हो

JUPICON said...

एक बानगी आम मतदाता की भी...... शरद यादव जी के साथ में परसों रात का खाना था एक मित्र के रेस्टुरेंट पर. मित्र कि बात थी अतः मैंने पार्किंग में लगे एक टेम्पो वाले को माल उतार के जाने को कहा.शरद जी कि गाड़ी वहीँ पर लगनी थी, उसने भी कहा ... जा रहा हूँ हमको भी जल्दी है बारह बजे के पहले गाँधी सेतु पर कर लेना है कल भोट देना है लालटेन पर्... जात भाई का पार्टी है ना . मैंने कहा शरत जी भी तो जात भाई है? वो तो बाहर वाला जात भाई है..जवाब मिला. अरे तो क्या हुआ अभी तो शांति से धंधा करते हो टेम्पो चलाने का पांच साल मे? अरे क्या शांति से ... पहले गुंडा बदमास लूटता था अब पुलिस वाला. मैंने कहा अरे तुम तो पांच साल पहले सौ रुप्प्या भी मुश्किल से कमाता होगा अब आज तो पांच सौ से ऊपर रोज कमाता होगा जी ? अरे सर पांच सौ से ज्यादा कमाते हैं लेकिन सब तो खर्चा हो जाता है देखते नहीं हैं कितना महंगाई हो गया है? और मैं लाजवाब हो गया.

Fighter Jet said...

Evrything else being equal,at least Nitish Govt repaired the non existant roads!

Something is still better than nothing.Thats one reason why people should not vote for congress or lalu!

Shweat said...

अब सरकार किसी की भी बने विकास तो हो कर ही रहेगा लेकिन ख़याल रहे की विकास की कीमत चुकानी पड़ती है.

Ahmad Rasheed said...

Payare Bhai, Rituraj,
Wah Kya likhe hain aapki lekhnika main to sada se qaiyal raha hon aapne jo bihari pride ke bare me jo likha hai parh kar sach me "feel good" laga. Future me bhi aap se aaise hi lekh ki ummed hai.
aapake ahmad bhaiya,